19 जनवरी 2013
लेवी चीनी की बाध्यता नहीं चाहता खाद्य मंत्रालय
आर एस राणा नई दिल्ली | Jan 19, 2013, 01:01AM IST
क्या है प्रॉब्लम
इससे केंद्र सरकार पर बढ़ जाएगा 3,000 करोड़ की सब्सिडी का भार
इसके लिए खाद्य मंत्रालय फिलहाल दो-तीन ठोस विकल्पों पर कर रहा है विचार
चीनी उद्योग को राहत देने के लिए यह कदम उठाने के पक्ष में है मंत्रालय
चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार चीनी मिलों पर लेवी की बाध्यता समाप्त करने की दिशा में सक्रिय हो गई है। लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त होने के बाद सरकार पर पडऩे वाले लगभग 3,000 करोड़ रुपये के सालाना अतिरिक्त भार के विकल्पों पर खाद्य मंत्रालय विचार कर रहा है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय चीनी मिलों पर लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने के पक्ष में है तथा इस पर काम भी शुरू हो गया है। लेवी चीनी की बाध्यता समाप्त करने से केंद्र सरकार पर करीब 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का अतिरिक्त भार बढ़ जाएगा।
इसके लिए मंत्रालय दो-तीन विकल्पों पर विचार कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले विकल्प के तौर पर सब्सिडी का भार केंद्र सरकार वहन करे। हालांकि, इसका सीधा असर बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल पर पड़ेगा। वर्ष 2011-12 में खाद्य सब्सिडी बिल 72,823 करोड़ रुपये का था। वर्ष 2012-13 में खाद्य सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी होना तय है।
दूसरा विकल्प यह है कि इसका भार राज्य सरकारों पर डाल दिया जाए। यह सुझाव प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी. रंगराजन की अगुआई में गठित चीनी डिकंट्रोल पर विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में भी दिया है।
उन्होंने बताया कि तीसरा विकल्प यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर 50-50 फीसदी के आधार पर सब्सिडी का बोझ वहन करें। लेवी चीनी का वितरण राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए किया जाता है।
लाभार्थियों को पीडीएस में चीनी का वितरण वर्तमान में 13.50 रुपये प्रति किलो की दर से किया जा रहा है, जबकि लेवी चीनी की खरीद चीनी मिलों से पेराई सीजन 2011-12 (अक्टूबर से सितंबर) में 19.04 रुपये प्रति किलो की दर से की गई थी। हालांकि, चालू पेराई सीजन 2012-13 के लिए अभी तक सरकार ने लेवी चीनी के खरीद दाम तय नहीं किए है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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