24 जनवरी 2013
निकलेगी प्याज में तेजी की हवा
सरकार की सक्रियता के बाद प्याज की कीमतों में तेजी थमने लगी है। मंगलवार को प्याज की स्थिति पर बुलाई गई बैठक के बाद मुख्य उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज के थोक भाव 10 फीसदी गिर गए हैं। कारोबारियों के मुताबिक जल्द ही अन्य जगह दाम गिरने शुरू हो जाएंगे।
अचानक तेजी से महंगे हुए प्याज के पीछे सटोरियों का खेल होने की आशंका है। सटोरिये उत्पादन में भारी कमी का हवाला देकर दाम बढ़ा रहे हैं, जबकि शुरुआती अनुमान के मुताबिक वर्ष 2012-13 में उत्पादन महज 6 फीसदी कम है। दाम पिछले साल से दोगुने हैं। अहम बात यह है कि प्याज की फसल अक्टूबर-नवंबर के मुकाबले एक महीने देर से आई है। इसलिए इस समय आपूर्ति का संकट जैसी स्थिति नहीं है। जानकारों के मुताबिक आपूर्ति में कमी के कारण तो दाम नवंबर में बढऩे थे। इस समय दाम बढऩे की ठोस वजह समझ नही आती है। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान व विकास संघ (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता ने बताया कि खरीफ में प्याज का रकबा 10 फीसदी घटने के बाद अनुकूल मौसम से उत्पादन पिछले खरीफ (करीब 41 लाख टन) के बराबर हुआ है। रबी में शुरुआती तौर पर उत्पादन पिछले साल से कम होने का अनुमान है। लेकिन खरीफ उत्पादकता में सुधार से लगता है कि रबी में भी उत्पादकता बेहतर रहेगी। पहले अनुमान के मुताबिक वर्ष 2012-13 में 164 लाख टन प्याज पैदा होने का अनुमान है, जो वर्ष 2011-12 के उत्पादन से 5.80 फीसदी कम है। उत्पादकता बढऩे से कमी की भरपाई भी हो सकती है। गुप्ता ने बताया कि इस समय प्याज की आपूर्ति को लेकर कोई संकट नहीं है।
महाराष्ट्र के प्याज कारोबारी नंदलाल ने बताया कि राज्य की मंडियों में दो दिनों के दौरान प्याज के थोक भाव 200 रुपये से ज्यादा गिरकर 1400-1500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं। दिल्ली में आजादपुर मंडी के कारोबारी राजेंद्र शर्मा ने कहा कि स्थानीय प्याज की आपूर्ति घटने से दाम अचानक बढ़े थे। लेकिन अब सोमवार तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व गुजरात से पर्याप्त आपूर्ति होने लगेगी। ऐसे में दाम 1,400-1,900 रुपये से घटकर 1,000-1,500 रुपये प्रति क्विंटल तक आने की संभावना है। (BS Hindi)
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