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06 मई 2019

वैज्ञानिकों ने की चने में जेनेटिक कोड की खोज, उच्च पैदावार वाली किस्म तैयार करने में मिलेगी मदद

आर एस राणा
नई दिल्ली। कृषि वैज्ञानिकों ने चने की जेनेटिक कोड की खोज की है, इससे जलवायु परिर्वतन के अनुकूल अधिक उत्पादन देने वाली किस्म को तैयार करने में मदद मिलेगा। इससे किसानों को चना की ऐसी किस्म मिल सकेंगी, जो प्रतिकूल प्रस्थितियों में भी ज्यादा उत्पादन दे सकेंगी। भारत में दलहन में सबसे ज्यादा उत्पादन चना का होता है, अत: चना का उत्पादन बढ़ने से दालों में आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी।
डॉ त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कहा कि यह वैश्विक कृषि अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है और ये अद्वितीय वैज्ञानिक समाधान दुनिया की कृषि सम्बंधित समस्याओं को कम करने में मदद करेंगे।
आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक डॉ पीटर कार्बेर्री ने कहा की कि इस नई खोज से कृषि प्रजनकों, को विविध जर्मप्लाज्म और जीन का उपयोग करके जलवायु-परिवर्तन के लिए तैयार चने की नई किस्म विकसित करने में मदद मिलेगी, जो विकासशील देशों में कृषि उत्पादकता में वृद्धि और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
अधिक तापमान में भी उत्पादन बढ़ाने में मिलेगी मदद
डॉ राजीव वार्ष्णेय जोकि इस परियोजना के प्रमुख और आईसीआरआईएसएटी के रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर जेनेटिक गेन्स (आरपीजीजी) एवं डायरेक्टर सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस इन जीनोमिक्स एंड सिस्टम्स बायोलॉजी (सीईजीएसबी), ने बताया की “जीनोम-वाइड एसोसिएशन के अध्ययन से हमें 13 महत्वपूर्ण लक्षणों के लिए जिम्मेदार जीन्स की पहचान करने में सफलता मिली है। उदाहरण के लिए, हमने आरईन1, बी-1, 3-गलूसैंस, आरईएफ6 जैसे जीन्स की खोज की, जो फसल को 380सी तक तामपान सहन करने और उच्च उत्पादकता प्रदान करने में मदद कर सकता है।
विश्व स्तर के 21 शोध संस्थानों के कृषि वैज्ञानिकों ने मिलकर किया काम
वैश्विक स्तर के 21 शोध संस्थानों के कृषि वैज्ञानिको ने 45 देशों से मिली चने की 429 प्रजातियों का सफलतापूर्वक अनुक्रमण करके सूखे और गर्मी के प्रति सहिष्णुता रखने वाले नए-नए जीन की खोज की है। टीम का नेतृत्व हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स- (आईसीआरआईएसएटी) के डॉ. राजीव वार्ष्णेय ने किया। इस टीम में भारतीय अनुसंधान परिषद के दो महत्वपूर्ण संस्थानों भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अलावा 19 अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक सम्मिलित हैं।
दलहन के कुल उत्पादन में चना की भागीदारी ज्यादा
फसल सीजन 2018-19 में दलहन का उत्पादन 240.2 लाख टन होने का अनुमान है, इसमें चना का उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में चना की बुवाई 96.59 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल देश में 107.57 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में चना का उत्पादन 103.2 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 111 लाख टन का उत्पादन हुआ था।....... आर एस राणा

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