आर एस राणा
नई
दिल्ली। महाराष्ट्र भीषण सूखे की चपेट में झुलस रहा है, राज्य 1972 जैसे
सूखे के हालात से गुजर रहा है। राज्य के छब्बीस जिले भीषण सूखे से ग्रस्त
है। खेतों की सिंचाई तो दूर लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है,
इसलिए लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
स्वाभिमान शेतकारी संगठन के
नेता और लोकसभा सदस्य राजू शेट्टी ने आउटलुक को बताया कि राज्य के सूखा
प्रभावित क्षेत्रों में जलाशयों में पानी है नहीं। ट्यूबवैलों में जलस्तर
काफी नीचे चला गया है। राज्य में 1962 के सूखे से भी ज्यादा भयावह स्थिति
बनी हुई है। किसानों को पीने के पानी नहीं मिल रहा है, पशुओं को पानी और
चारा नहीं मिल रहा है। इन हालातों में खरीफ फसलों की बुवाई भी नहीं हो
पायेगी। इसलिए काम की तलाश में किसान दूसरे राज्यों को पलायन को मजबूर हैं।
सूखे का असर खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ेगा
उन्होंने
बताया कि सूखे के कारण राज्य में खरीफ की फसलों खासकर के कपास, दलहन,
मक्का, सोयाबीन के साथ ही फलों और सब्जियों की बुवाई के साथ ही उत्पादकता
पर असर पड़ेगा। राज्यों के मराठवाड़ा और विदर्भ में कई सालों से सामान्य से
कम बारिश के कारण किसानों की आर्थिक हालात पहले से ही खराब है, अत: सूखे
के कारण किसानों को साहूकारों या फिर बैंकों से कर्ज लेने को मजबूर होना
पड़ेगा।
काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जा रहे हैं लोग
अहमदनगर
के किसान बाला साहेब चौहान ने बताया कि नदियों के साथ ही तालाब सूख गये
हैं, जलाशयों में पानी नाममात्र का ही बचा हुआ है। हालाता यह है कि लोगों
को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा है। पिछले साल भी राज्य में सूखे जैसे
हालात थे, जिस कारण पशुओं के चारे के साथ ही पानी की किल्लत है। उन्होंने
बताया कि खेती बारिश के भरोसे है, इसलिए लोग दूसरे राज्यों में काम की तलाश
में जा रहे हैं। प्रशासन टैंकरों से पीने के पानी की सप्लाई कर रहा है
लेकिन टैंकरों की संख्या कम होने के कारण किसानों को दो-तीन किलोमीटर दूर
से पानी लाना पड़ रहा है।
इन जिलों में पड़ है सूखा
राज्य
के 26 जिलों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं, इनमें औरंगाबाद, परभणी,
अहमदनगर, धुले, जलगांव, नाशिक, नंदूरबार, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, बीड,
हिंगोली, जालना, नांदेड़, लातूर, उस्मानाबाद, यवतमाल, वाशिम, वर्धा,
चंद्रपुर, नागपुर, पुणे, सांगली, सातारा, सोलापुर और पालघर शामिल हैं।
मराठवाड़ा में हालात ज्यादा खतरनाक
महाराष्ट्र
के 17 बड़े जलाशयों में से 5 में पानी सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है।
राज्य के 5 बड़े जलाशयों में महज 10 फीसदी पानी बचा है, जबकि मराठवाड़ा
इलाके में सूखे की सबसे ज्यादा मार है। यहां के पानी सप्लाई करने वाले
जलाशयों में महज पांच फीसदी पानी ही बचा है। हाल ही में एनसीपी सुप्रीमो
शरद पवार राज्य के सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा कर राज्य के मुख्यमंत्री
देवेंद्र फडणनवीस से मिले थे, तथा राज्य सरकार से सूखाग्रस्त इलाकों में
लोगों को राहत कार्य तेज करने की मांग की थी।............. आर एस राणा
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