आर एस राणा
नई
दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से विश्व बाजार में
सोयाबीन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है, इसका असर घरेलू बाजार
में सोया डीओसी की कीमतों पर पड़ा है। घरेलू बाजार में चालू महीने में सोया
डीओसी की कीमतों में 8.45 फीसदी की गिरावट आकर बंदरगाह पर भाव 32,500 से
33,000 रुपये प्रति टन रह गए जिससे निर्यात मांग कम हो गई।
सोयाबीन
प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के उपाध्यक्ष नरेश गोयनका ने बताया
कि चीन, अमेरिका से सालाना करीब 400 लाख टन सोयाबीन का आयात करता है, लेकिन
ट्रेड वॉर के कारण चीन की आयात मांग कम होने से विश्व बाजार में सोयाबीन
की कीमतें चालू महीने में घटकर 11 साल से न्यूनतम स्तर पर आ गई थी। शिकागो
बोर्ड आफ ट्रेड (सीबॉट) में 30 अप्रैल को सोयाबीन का भाव जुलाई वायदा में
8.64 डॉलर प्रति बुशल था जोकि 13 मई को घटकर 7.95 डॉलर प्रति बुशल रह गया।
हालांकि उसके बाद से भाव में हल्का सुधार आया है।
डीओसी के भाव घटे
उन्होंने
बताया कि विदेशी बाजर में सोयाबीन की कीमतों में आई गिरावट के कारण घरेलू
बाजार में सोया डीओसी की कीमतों में गिरावट आई है। कांडला बंदरगाह पर सोया
डीओसी के भाव घटकर 32,500 से 33,000 रुपये प्रति टन रह गए जबकि चालू महीने
के शुरू में इसके भाव 35,000 से 35,500 रुपये प्रति टन थे। सोयाबीन के भाव
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में 3,700 से 3,800 रुपये प्रति
क्विंटल चल रहे हैं। सोया रिफाइंड तेल के भाव इंदौर में 755 से 760 रुपये
प्रति 10 किलो रहे।
डीओसी के निर्यात में भारी गिरावट
साल्वेंट
एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अप्रैल में 12,265 टन
सोया डीओसी का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल में 68,264 टन
सोया डीओसी का निर्यात हुआ था। अप्रैल में सोया डीओसी के भाव बढ़कर घरेलू
बंदरगाह पर 460 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि जनवरी में इसका भाव 413 डॉलर
प्रति टन था। वित्त वर्ष 2018-19 में डीओसी का कुल निर्यात 13,58,083 टन का
हुआ था।
कीमतों में तेजी-मंदी मानसून पर करेगी निर्भर
सोपा
के अनुसार चालू सीजन 2018-19 में सोयाबीन का उत्पादन 114.83 लाख टन का हुआ
है जबकि अक्टूबर 2018 से अप्रैल 2019 तक मंडियों में 81 लाख टन सोयाबीन की
आवक हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में 66.50 लाख टन सोयाबीन की ही
आवक ही हुई थी। उत्पादक मंडियों में 30 लाख टन से ज्यादा सोयाबीन का स्टॉक
बचा हुआ है जबकि जून-जुलाई में बुवाई शुरू हो जायेगी। अत: आगे इसकी कीमतों
में तेजी-मंदी मानसूनी बारिश पर निर्भर करेगी। ............ आर एस राणा
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