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06 मई 2019

नेपाल के रास्ते हो रहा सस्ते खाद्य तेलों का आयात, उद्योग ने सरकार को लिखा पत्र

आर एस राणा
नई दिल्ली। नेपाल के रास्ते भारत में शून्य शुल्क पर पॉम तेल के साथ ही सोयाबीन तेल का आयात हो रहा है, जिससे घरेलू बाजार में जहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीचे दाम पर तिलहन की फसलें बेचनी पड़ रही है वहीं उद्योग को भी इससे नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों से खाद्य तेलों के आयात पर शून्य शुल्क होने के कारण आयातक नेपाल के रास्ते सस्ते खाद्य तेलों क्रुड पॉम तेल और सोयाबीन तेल का आयात कर रहे हैं। सोपा ने सरकार को लिखे पत्र में कहा कि नेपाल में सोयाबीन का उत्पादन नहीं होता, जबकि नेपाल में सोयाबीन की पेराई क्षमता भी सीमित मात्रा में ही है।
नेपाल में पॉम और सोयाबीन का नहीं होता उत्पादन
सोपा के अनुसार नेपाल में पाम तेल का उत्‍पादन भी नहीं होता है। नेपाल से आयात होने वाला पाम तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया हुआ है, जबकि सोयाबीन तेल दक्षिण अमेरिकी देशों से आयात किया हुआ है। शून्य शुल्क होने के कारण आयातक इन देशों से नेपाल के रास्ते खाद्य तेलों का आयात कर रहे हैं, जिसका सीधा असर घरेलू किसानों के साथ ही उद्योग को भी उठाना पड़ रहा है।
नेपाल के रास्ते करीब 5,000 टन सस्ता पड़ता है आयात
उद्योग के अनुसार नेपाल के रास्‍ते भारत में सोयाबीन तेल और पाम ऑयल का जो आयात हो रहा है, वह पूरी तरह से नियमों का उल्‍लंघन है। इससे सीमा शुल्‍क की भी चोरी की जा रही है। नेपाल के रास्ते हो रहे आयात को रोकने के लिए सोपा ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्‍ट टैक्‍सेस एंड कस्‍टम के चेयरमैन को पत्र लिखा है। उद्योग के अनुसार नेपाल के रास्ते हो रहा खाद्य तेल करीब 5,000 रुपये प्रति टन तक सस्ता पड़ रहा है। सोपा ने नेपाल में उत्पादित होने वाले खाद्य तेल के आयात की ही अनुमति देने का अनुरोध किया है। इस तरह के आयात से किसानों और उद्योग को भारी नुकसान हो रहा हैं इसलिए इस पर त्‍वरित कार्रवाई की जानी चाहिए। 
किसान सरसों बेच रहे हैं समर्थन मूल्य से नीचे
उद्योग ने कहा गया है कि किसानों को उचित मूल्‍य सुनिश्चित करने और उन्‍हें अधिक तिलहन का उत्‍पादन बढ़ाने को प्रोत्‍साहित करने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्‍क को बढ़ाया गया था, साथ ही इससे खाद्य तेलों के आयात पर हमारी निर्भरता भी कम होती। उद्योग ने लिखा है कि शून्‍य शुल्‍क पर बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का यह आयात किसानों को मिलने वाले लाभ को पूरी तरह से खत्‍म कर देगा और उद्योग पर भी प्रतिकूल असर डालेगा। इसके अलावा सरकार को राजस्‍व की हानि भी हो रही है। उत्पादक मंडियों में सरसों 3,500 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।........ आर एस राणा

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