आर एस राणा
नई
दिल्ली। उत्तर क्षेत्र के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के साथ ही
गुजरात और महाराष्ट्र के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत
स्तर से भी नीचे आ गया है, जबकि चालू सीजन में देशभर में अभी तक मानसूनी
बारिश भी सामान्य से 10 फीसदी कम हुई है। मानसून 15 जून से महाराष्ट्र में
अटका हुआ है, ऐसे में मानसून में और देरी हुई तो फिर कई राज्यों में चल रहा
जल संकट और गहरा सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार 24 जून से
मानसून के फिर से रफ्तार पकड़ने की संभावना है। चालू खरीफ में केरल में
मानसून ने तय समय से 3 दिन पहले ही दस्तक दे दी थी, तथा 15 जून तक दक्षिण
भारत और पूर्वोत्तर के कई राज्यों के अलावा महाराष्ट्र में मानसून पहुंच
गया गया था। 15 जून से मानसून महाराष्ट्र से आगे नहीं बढ़ा है जिसका असर
खरीफ फसलों की बुवाई पर भी पड़ा है।
केन्द्रीय जल संसाधन
मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 21 जून 2018 को उत्तरी क्षेत्र के
हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के 6 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी
कुल भंडारण क्षमता के 16 फीसदी पर आ गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत 28
फीसदी से काफी कम है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का
स्तर 25 फीसदी था।
यही हाल पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी है।
पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का
स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 13 फीसदी ही रह गया है जोकि पिछले दस साल
के औसत अनुमान 17 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी
क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 18 फीसदी पानी था।
मध्य
क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12
जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 21 फीसदी पर आ
गया है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 29
फीसदी था। हालांकि 10 साल के औसत 18 फीसदी से थोड़ा अधिक है।
दक्षिण
भारत के राज्यों में मानसून आने से जलाशयों में पानी के स्तर पर में सुधार
आया है। आंधप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों
में पानी का स्तर कुल भंडारण का 20 फीसदी हो गया है जोकि दस साल के औसत 17
फीसदी से थोड़ा ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों के
जलाशयों में पानी का स्तर घटकर 8 फीसदी ही गया था।........... आर एस राणा
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