आर एस राणा
नई
दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री-मानसून के साथ ही मानसून की बारिश कम
होने से खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ रही है। कपास, तिलहन, दलहन और धान के
साथ ही मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। हालांकि अभी
बुवाई शुरूआती चरण में है, तथा आगे जैसे-जैसे मानसून की सक्रियता बढ़ेगी,
फसलों की बुवाई में भी तेजी आने का अनुमान है।
मौसम विभाग ने
चालू खरीफ में मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की थी। मानसून ने केरल
में तय समय से तीन दिन पहले ही दस्तक भी दे दी थी, जिससे खरीफ फसलों की
अच्छी बुवाई की आस बंधी थी लेकिन 15 जून के बाद से मानसून महाराष्ट्र से
आगे नहीं बढ़ रहा है, साथ ही देश आधे से अधिक भाग में प्री-मानसून की बारिश
भी सामान्य से कम हुई है जिसका असर खरीफ फसलों की बुवाई पर दिख रहा है।
खरीफ फसलों की कुल बुवाई पिछे
कृषि
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई अभी तक केवल 115.90 लाख
हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 128.35 लाख
हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
कपास और मोटे अनाजों की पर भी असर
मंत्रालय
के अनुसार कपास की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 20.68 लाख हैक्टेयर
में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.70 लाख हैक्टेयर में कपास की
बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुवाई भी चालू सीजन में पिछड़
कर 16.69 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 18.34
लाख हैक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हो चुकी थी।
तिलहनी फसलों के साथ ही दलहन की बुवाई भी घटी
तिलहनी
फसलों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक केवल 5.03 लाख हैक्टेयर में ही हो
पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.93 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी
थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली और सोयाबीन की बुवाई पिछे चल रही है। खरीफ
दलहनी फसलों अरहर, उड़द और मूंग आदि की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर 5.91
लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 7.82 लाख
हैक्टेयर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई कम, गन्ना की बुवाई ज्यादा
खरीफ
की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू सीजन में 10.67 लाख हैक्टेयर में ही हो
पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई 11.17 लाख हैक्टेयर में
हो चुकी थी। गन्ना की बुवाई जरुर चालू खरीफ में बढ़कर 50.01 लाख हैक्टेयर
में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 49.48 लाख हैक्टेयर
में ही हो पाई थी।............ आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें