आर एस राणा
नई
दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में चल
रही गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इन पर लगी स्टॉक लिमिट को हटा
दिया है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में तिलहनी फसलों सरसों और मूंगफली के
भाव समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होने
से मई में खाद्य तेलों के आयात में 7 फीसदी की कमी आई है।
खाद्य
मंत्रालय द्वारा गुरूवार को जारी अधिसचूना के अनुसार खाद्य तेलों और
तिलहनों पर स्टॉक लिमिट को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। केंद्र
सरकार ने 29 सितंबर 2017 को खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट को एक
साल के लिए बढ़ा दिया था। उन्होंने बताया कि स्टॉक लिमिट हटाने का फायदा
तिलहनी किसानों को होगा।
स्टॉक लिमिट हटाने से किसानों को होगा फायदा
साल्वेंट
एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी
मेहता ने बताया कि तिलहनों और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट हटाने की मांग
उद्योग काफी समय से कर रहा था, केंद्र सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट हटाने से
किसानों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा
कई राज्यों ने तिलहनों और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट लगा रखी है जिस कारण
तेल मिलें स्टॉक से ज्यादा तिलहनों की खरीद नहीं पा रही है। महाराष्ट्र में
तेल मिलें कुल पेराई क्षमता के 45 दिन का ही स्टॉक रख सकती हैं।
डॉलर की मजबूती से मई में घटा तेलों का आयात
एसईए
के अनुसार मई में खाद्य तेलों एवं अखाद्य तेलों के आयात में 7 फीसदी की
कमी आकर कुल आयात 12,46,462 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मई में इनका
आयात 13,84,439 टन का हुआ था। खाद्य तेलों के कारोबारी हेंमत गुप्ता ने
बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती और घरेलू बाजार में खाद्य तेलों
का स्टॉक ज्यादा होने के कारण मई में आयात में कमी आई है।
चालू तेल वर्ष के 7 महीनों में आयात एक फीसदी ज्यादा
एसईए
के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले 7 महीनों नवंबर
से मई के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में एक फीसदी की बढ़ोतरी
होकर 86,04,535 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका
आयात केवल 85,22,704 टन का ही हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे
आयातित
खाद्य तेलों की कीमतों में अप्रैल की तुलना में मई में गिरावट आई है। एसईए
के अनुसार भारतीय बंदरगाह पर क्रुड पॉम तेल का भाव 652 डॉलर प्रति टन रह
गया जबकि अप्रैल में इसका भाव 664 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से आरबीडी
पॉमोलीन का भाव इस दौरान 673 डॉलर से घटकर 661 डॉलर प्रति टन रह गया।
तिलहनों के भाव एमएसपी से नीचे
उत्पादक
मंडियों में सरसों के भाव 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं
जबकि केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,000 रुपये
प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इसी तरह से मूंगफली का दाम मंडियों में
3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये
प्रति क्विंटल है। ............ आर एस राणा
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