आर एस राणा
नई
दिल्ली। घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र
सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन देश में चीनी के बंपर उत्पादन अनुमान
और विश्व बाजार में इसके दाम नीचे होने के कारण चीनी की कीमतों में सुधार
नहीं आ पा रहा हैं। यही कारण है कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया
की राशि लगातार बढ़ रही है।
केंद्र सरकार ने 20 लाख चीनी के
निर्यात की अनुमति दी है लेकिन विश्व बाजार में चीनी के दाम नीचे होने के
कारण इसका असर घरेलू मंडियों में चीनी के भाव नहीं पड़ा। विश्व बाजार में
शुक्रवार को व्हाईट चीनी का भाव 345 से 350 डॉलर प्रति टन रहा जोकि भारतीय
रुपये के हिसाब से 2,200 से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश
में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 2,950 से 3,025 रुपये और महाराष्ट्र में
2,900 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली में शुक्रवार को चीनी के
एक्स फैक्ट्री भाव 3,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इंडियन शुगर
मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने आउटलुक को बताया कि
चीनी मिलें निर्यात के लिए तैयार है, हालांकि विश्व बाजार में चीनी के भाव
काफी नीचे हैं। इसलिए केंद्र सरकार से प्रोत्साहन मिल जाये तो, मिलों को
निर्यात करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में चीनी का
जो अतिरिक्त भंडार है, उसका निर्यात होने के बाद ही घरेलू मंडियों में इसके
भाव सुधार आ सकता है।
मौजूदा भाव में निर्यात संभव नहीं
केंद्र
सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति शुल्क मुक्त आयात अधिकार
योजना (डीएफआईए) के तहत दी है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को
अगले छह महीनों में निर्यात की मात्रा के बराबर अक्टूबर-2019 और
सितंबर-2021 के बीच रॉ-शुगर का आयात करने के लिए न्यूनतम सूचक निर्यात कोटा
(एमआईईक्यू) को भी मंजूरी दी है। एसएनबी के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने
बताया कि जब तक केंद्र सरकार चीनी मिलों को या फिर सीधे गन्ना किसानों को
प्रोत्साहन राशि नहीं देगी, तब तक निर्यात की संभावना नहीं है। विश्व बाजार
में ओर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों के अंतर के आधार पर निर्यात करने
पर चीनी मिलों को 650 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल (बंदरगाह से मिलों की
दूरी) के आधार पर नुकसान उठाना पड़ेगा।
अप्रैल में और घट सकते हैं दाम
केंद्र
सरकार ने फरवरी और मार्च महीने में चीनी बेचने के लिए मिलों पर सीमा कर दी
थी, जिससे पिछले दो महीनों में घरेलू बाजारों में सप्लाई सीमित मात्रा में
ही हुई। ऐसे में चीनी बेचने की सीमा को आगे नहीं बढ़ाया तो फिर अप्रैल में
चीनी की सप्लाई बढ़ने से इसके भाव में ओर गिरावट आ सकती है।
बंपर उत्पादन का अनुमान
इस्मा
के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख
टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में केवल 203 लाख टन का ही
उत्पादन हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती
है। पहली अक्टूबर 2017 से 15 मार्च 2018 तक 258.06 लाख टन चीनी का उत्पादन
हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 175.5 लाख टन का
ही उत्पादन हुआ था।
बकाया 14 हजार करोड़ के करीब
चालू
पेराई सीजन में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 14,000 करोड़
के करीब पहुंच गई है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों
पर है।
निर्यात शुल्क शून्य और आयात शुल्क 100 फीसदी
इससे
पहले केंद्र सरकार जहां आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क को 100 फीसदी कर
चुकी है जबकि निर्यात शुल्क को भी शून्य किया हुआ है। पाकिस्तान सरकार चीनी
निर्यात पर 11 रुपये प्रति किलो की दर से प्रोत्साहन राशि दे रही है जबकि
एशियाई बाजारों में थाईलैंड की चीनी सस्ती है। ........... आर एस राणा
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