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28 मार्च 2018

सरकार के तमाम दावों के बावजूद, किसानों को औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही हैं जिंस

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारे फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के ​दावे तो बहुत कर रही हैं लेकिन हकीकत यह है कई राज्यों की मंडियों में किसानों को एमएसपी से 10 से 20 फीसदी नीचे भाव पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, मसूर, जौ और सरसों की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में बढ़ रही है लेकिन कई राज्यों की मंडियों में खरीद या तो शुरू नहीं हो पाई है, या फिर सीमित मात्रा में ही खरीद हो रही है। इसलिए किसानों को मजबूरन व्यापारियों को अपनी फसलें औने—पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है। किसानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अधिकार के प्रति चेतना जगाने के लिए किसान संगठन के नेताओं ने एमएसपी सत्याहग्रह के जरिए 5 राज्यों की मंडियों के दौरे के दौरान देखा कि किसानों को फसलों का उचित भाव दिलवाने के सरकारी दावे खोखले साबि​त हो रहे हैं।
एमएसपी सत्याग्रह के तहत जिस भी मंडी का किसान संगठनों ने दौरा किया वहां पाया कि अधिकतर किसान अपनी फसलों को एमएसपी से नीचे ​भाव पर बेचने को मजबूर हैं। अत: तकरीबन हर फसल में किसान की कम-ज्यादा लूट जारी है। ऐसे में माना जा रहा है कि हर साल की तरह इस बार भी चालू रबी की फसलों में किसानों की बड़े पैमाने पर लूट होगी। किसान संगठनों के अनुसार के अनुसार गेहूं और धान की फसल को छोड़ तो भी चालू रबी में किसानों को 14,474 करोड़ रुपये का घाटा लगने की आशंका है।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसानों को कहीं भी एमएसपी नहीं मिल रहा है। तकरीबन हर मंडी में पाया कि सरकारी वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ो से कम भाव पर मंडी में फसल बिक रही है। रबी की फसलों की बंपर पैदावार हुई है लेकिन फसलों के दाम एमएसपी से 10 से 20 फ़ीसदी नीचे बने हुए हैं। एक तरफ सरकार ज्यादा पैदावार होने का श्रेय लेती है, औऱ दूसरी तरफ पूरी मात्रा की ख़रीद नहीं कर किसानों को ज्यादा उपजाने की सज़ा भी देती है।
किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम ने कहा कि रबी की ख़रीद में बड़े पैमाने पर किसानों की लूट हो रही है। मध्य प्रदेश में एमएसपी से नीचे खरीदारी करने के बावजूद अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है। जय किसान आंदोलन के संयोजक अविक साहा ने कहा कि किसानों कों फसलों का एमएसपी भी मिल पा रहा है, अत: केंद्र सरकार इस वायदे को पूरा नही कर पा रही है तो यह किसानों के साथ सबसे बड़ा छल है।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश की कई मंडियों में चना 3,200 से 3,300 रुपये प्रति​ क्विंटल की दर से बिक रहा है जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से राजस्थान और हरियाणा की अधिकांश मंडियों में सरसों 3,500 से 3,600 प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति​ क्विंटल है। हरियाणा के सोनीपत जिले के रुखी गांव निवासी किसान राजेश ने बताया कि सोनीपत की मंडियों से सरसों की खरीद नहीं होने के उनकों अपनी फसल मंडी में 3,600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ी है। जौ का एमएसपी 1,410 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि राजस्थान और अन्य राज्यों की मंडियों में इसका भाव 1,275 से 1,325 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।..............  आर एस राणा

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