आर एस राणा
नई
दिल्ली। मध्य क्षेत्र के साथ ही पश्चिमी क्षेत्र के कई राज्यों के जलाशयों
में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ गया है, ऐसे में
आगे गर्मी बढ़ने पर राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य
प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही तेलंगाना में पानी की किल्लत हो सकती है। इन
राज्यों में पीने के पानी के साथ ही खरीफ सीजन में किसानों को फसलों की
बुवाई हेतु सिंचाई में भी परेशानी आने की आशंका है।
केन्द्रीय जल
संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 8 मार्च 2018 को मध्य
क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12
जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 34 फीसदी पर आ
गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत 37 फीसदी से भी कम है। पिछले वर्ष की समान
अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 52 फीसदी था।
ऐसी ही
स्थिति पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी है। पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात
तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का
37 फीसदी रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 40 फीसदी से भी कम
है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता
का 44 फीसदी पानी था।
उधर दक्षिण भारत के जिलों आंध्रप्रदेश,
तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों में पानी का स्तर पिछले
साल से तो ज्यादा है लेकिन 10 साल के औसत स्तर से काफी कम है। 8 मार्च
2018 को इन जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण का 25 फीसदी रह गया है
जोकि दस साल के औसत 32 फीसदी से काफी कम है। वैसे, पिछले साल की समान अवधि
में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर 18 फीसदी था।
केन्द्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा,
महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जलाशयों में पानी की
स्थिति बेहतर है। देश के सभी 91 जलाशयों में 8 मार्च 2018 को पानी का स्तर
घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 34 फीसदी पर आ गया है जबकि 1 मार्च 2018 को
इनमें 36 फीसदी पानी था।............ आर एस राणा
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