आर एस राणा
नई
दिल्ली। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत की तुलना में
डेढ़ तय करना इतना भी आसान नहीं है। कृषि मंत्रालय की गणना के अनुसार खरीफ
फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय करने में ही करीब 1.25 लाख करोड़
रुपये की जरुरत पड़ेेगी जबकि रबी फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय
करने का खर्च इससे अलग होगा।
कृषि मंत्रालय के एक
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खरीफ सीजन में 14 फसलों के एमएसपी तय किये जाते
हैें, इन फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ तय करने में ही करीब 1.25 लाख
करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। रकम का अनुमान कृषि मंत्रालय ने
नीति आयोग को दे दिया है।
खरीफ सीजन में धान,
ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग और उड़द के अलावा तिलहनी फसलों
सोयाबीन, मूंगफली, सनफ्लावर सीड, शीसम और नीगरसीड के अलावा कपास की फसलों
के एमएसपी तय किए जाते हैं। खरीफ सीजन में एमएसपी पर धान की खरीद भारतीय
खाद्य निगम (एफसीआई) बड़े पैमाने पर करती है जबकि अन्य फसलों की खरीद
केंद्र के साथ ही राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा सीमित मात्रा में ही की
जाती है।
केंद्र सरकार ने आम बजट 2018-19 में
खरीफ फसलों के एमएसपी डेढ़ गुना तय करने का वायदा किया था। उन्होंने बताया
कि बजट के बाद से ही कृषि मंत्रालय और नीति आयोग इस पर कार्य कर रहे हैं।
कृषि मंत्रालय की इस संबंध में नीति आयोग के अधिकारियों के संग बैठक हो
चुकी है, तथा जल्दी ही राज्यों के साथ भी इस पर मंत्रणा होगी।
किसानों
को उनकी फसलों का एमएसपी मिलना सुनिश्चित हो, इसके अलावा नीति आयोग
भावांतर योजना पर भी विचार कर रहा है। भावांतर योजना के तहत एमएसपी और मंडी
में चल रहे फसल के भाव के अंतर की भरपाई की जाती है। मध्य प्रदेश में
भावांतर योजना के तहत राज्य सरकार किसानों से फसलों की खरीद कर रही है।
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में इस स्कीम के तहत हो रही खरीद में कई तरह
की गड़बड़ी भी सामने आई है।............ आर एस राणा
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