आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में ग्वार सीड के साथ ही कपास, सोयाबीन, और केस्टर सीड की बुवाई में कमी आषंका है। इन फसलों की जगह किसान दलहन के साथ ही अन्य नगदी फसलों की बुवाई को तरजीह देंगे।
जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में ग्वार सीड, केस्टर सीड, कपास और सोयाबीन के किसान दलहन के अलावा अन्य नगदी फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे, क्योंकि एक तो चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है। दूसरा दलहन की कीमतें खासकर के अरहर और उड़द की तेज बनी हुई है। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसकी बुवाई में करीब 8 से 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। इसी तरह से राजस्थान और हरियाणा तथा गुजरात में ग्वार सीड की बुवाई में 10 से 15 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। ग्वार गम के निर्यात में आई भारी कमी के कारण ग्वार सीड के भाव उत्पादक मंडियों में घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रह गए है जबकि उत्पादक राज्यों में इसका स्टॉक भी ज्यादा बताया जा रहा है।
केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी केस्टर सीड के भाव गुजरात की मंडियों में घटकर 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है जबकि इस समय उत्पादक मंडियों में सीड की दैनिक आवक भी अच्छी है। ऐसे में किसान केस्टर सीड के बजाए दलहनी फसलों के अलावा मूंगफली की बुवाई को प्राथमिकता देंगे। पिछले साल देष में 10.35 लाख हैक्टेयर में कैस्टर सीड की बुवाई हुई थी तथा पैदावार का अनुमान 18.24 लाख टन का था।
कपास की बुवाई पंजाब और हरियाणा के बाद तेलंगाना में भी कम होने की आषंका है। ऐसे में खरीफ में कपास की बुवाई में पिछले साल की तुलना में कमी आयेगी। भाव कम होने के साथ ही पिछले साल बीमारी से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था जिससे किसान इस बार कपास के बजाए अन्य फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे। पिछले तीन साल से लगातार देष में कपास की पैदावार में कमी देखी जा रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2013-14 में कपास की पैदावार 398 लाख गांठ (एक गांठ -170 किलो) की हुई थी जबकि फसल सीजन 2014-15 में पैदावार घटकर 380 लाख गांठ रह गई। चालू फसल सीजन 2015-16 में पैदावार का अनुमान 352 लाख गांठ का है।
सोया खली के निर्यात में आई भारी गिरावट से सोयाबीन के भाव में उत्पादक राज्यों मंडियों में पिछले दिनों काफी नीचे गए थे। विष्व बाजार में भारतीय सोया खली के दाम उंचे है जिसका असर भारत से इसके निर्यात पर पड़ा है। चालू वित वर्ष 2016-17 के अप्रैल महीने में केवल 54,390 टन सोया खली का निर्यात ही हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में 1,82,638 टन का निर्यात हुआ था। भारतीय सोया खली का भाव अप्रैल महीने में 493 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर था जबकि विष्व बाजार में औसतन सोया खली का भाव 413 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ था।.......आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में ग्वार सीड के साथ ही कपास, सोयाबीन, और केस्टर सीड की बुवाई में कमी आषंका है। इन फसलों की जगह किसान दलहन के साथ ही अन्य नगदी फसलों की बुवाई को तरजीह देंगे।
जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में ग्वार सीड, केस्टर सीड, कपास और सोयाबीन के किसान दलहन के अलावा अन्य नगदी फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे, क्योंकि एक तो चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है। दूसरा दलहन की कीमतें खासकर के अरहर और उड़द की तेज बनी हुई है। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसकी बुवाई में करीब 8 से 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। इसी तरह से राजस्थान और हरियाणा तथा गुजरात में ग्वार सीड की बुवाई में 10 से 15 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। ग्वार गम के निर्यात में आई भारी कमी के कारण ग्वार सीड के भाव उत्पादक मंडियों में घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रह गए है जबकि उत्पादक राज्यों में इसका स्टॉक भी ज्यादा बताया जा रहा है।
केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी केस्टर सीड के भाव गुजरात की मंडियों में घटकर 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है जबकि इस समय उत्पादक मंडियों में सीड की दैनिक आवक भी अच्छी है। ऐसे में किसान केस्टर सीड के बजाए दलहनी फसलों के अलावा मूंगफली की बुवाई को प्राथमिकता देंगे। पिछले साल देष में 10.35 लाख हैक्टेयर में कैस्टर सीड की बुवाई हुई थी तथा पैदावार का अनुमान 18.24 लाख टन का था।
कपास की बुवाई पंजाब और हरियाणा के बाद तेलंगाना में भी कम होने की आषंका है। ऐसे में खरीफ में कपास की बुवाई में पिछले साल की तुलना में कमी आयेगी। भाव कम होने के साथ ही पिछले साल बीमारी से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था जिससे किसान इस बार कपास के बजाए अन्य फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे। पिछले तीन साल से लगातार देष में कपास की पैदावार में कमी देखी जा रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2013-14 में कपास की पैदावार 398 लाख गांठ (एक गांठ -170 किलो) की हुई थी जबकि फसल सीजन 2014-15 में पैदावार घटकर 380 लाख गांठ रह गई। चालू फसल सीजन 2015-16 में पैदावार का अनुमान 352 लाख गांठ का है।
सोया खली के निर्यात में आई भारी गिरावट से सोयाबीन के भाव में उत्पादक राज्यों मंडियों में पिछले दिनों काफी नीचे गए थे। विष्व बाजार में भारतीय सोया खली के दाम उंचे है जिसका असर भारत से इसके निर्यात पर पड़ा है। चालू वित वर्ष 2016-17 के अप्रैल महीने में केवल 54,390 टन सोया खली का निर्यात ही हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में 1,82,638 टन का निर्यात हुआ था। भारतीय सोया खली का भाव अप्रैल महीने में 493 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर था जबकि विष्व बाजार में औसतन सोया खली का भाव 413 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ था।.......आर एस राणा
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