सोयाबीन की गिरती कीमतों के कारण देश के किसान इस साल सोयाबीन का रकबा
10 फीसदी तक घटा सकते हैं, जिससे पाम तेल और सोयाबीन जैसे खाद्य तेलों का
आयात बढऩे के आसार हैं। भारत में सोयाबीन खरीफ की प्रमुख फसल है, लेकिन
पिछले दो साल में इसकी कीमतें 10 फीसदी गिरी हैं। वहीं इस अवधि में अरहर
जैसी दालों की कीमतें करीब तिगुनी हो गई हैं। सोयाबीन के कम उत्पादन से देश
को खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिससे कीमतों
में भी तेजी आएगी। इससे भारत का खली निर्यात भी घट सकता है। कम आपूर्ति के
चलते आगे कीमतें बढऩे से खली का आयात भी फायदेमंद हो जाएगा।
देश की सबसे बड़ी खाद्य तेल रिफाइनर रुचि सोया के मुख्य अनुसंधान
अधिकारी के एन रहिमन ने कहा, 'पिछले दो-तीन साल में सोयाबीन ने दालों जैसी
प्रतिस्पर्धी फसलों की तुलना में कम प्रतिफल दिया है।' उन्होंने कहा, 'इस
साल दालों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचे स्तरों पर बनी हुई हैं, इसलिए किसानों का
दलहन बुआई की तरफ रुझान बढ़ेगा। इस वजह से सोयाबीन के रकबे में 5 से 10
फीसदी गिरावट देखने को मिल सकती है।'
किसानों ने वर्ष 2015-16 में 116.3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई
की थी, इसलिए 10 फीसदी कमी से जुलाई से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2016-17
में रकबा घटकर करीब 105 लाख हेक्टेयर रह जाएगा। ज्यादातर भारतीय किसान
सोयाबीन और दलहन की बुआई मॉनसून की बारिश आने के बाद जून में शुरू करते
हैं। इन फसलों की बुआई मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और
कर्नाटक में होती है।मध्य प्रदेश के मुरैना के एक किसान दिनेश गर्ग खरीफ
सीजन में सोयाबीन उगाते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अरहर की बुआई करने का
फैसला किया है। गर्ग ने पिछले साल 5 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी।
उन्होंने कहा, 'कम कीमतों के कारण सोयाबीन की खेती फायदेमंद नहीं है। इस
साल मैं अरहर उगाना चाहता हूं।'
सूखे और कीटों के प्रकोप से उत्पादन पर असर पडऩे के कारण 2015-16 में
सोयाबीन का उत्पादन 20 फीसदी घटकर एक दशक के सबसे निचले स्तर पर रहा था।
भारत एशियाई खरीदारों को सोयाखली का निर्यात करता है, लेकिन उत्पादन घटने
के कारण उसे कई सालों में पहली बार थोड़ी मात्रा में सोयाखली और सोयाबीन का
आयात करना पड़ा है। कोटक कमोडिटी सर्विसेज लिमिटेड के सहायक उपाध्यक्ष
(अनुसंधान) फैयाज हुदानी ने कहा कि देश अपनी खाद्य तेल की मांग पूरी करने
के लिए ज्यादातर आयात करता है, इसलिए सोयाबीन की कम आपूर्ति का मतलब है कि
2016-17 में आयात और बढ़ेगा। हुदानी ने कहा, 'तिलहन का उत्पादन स्थिर बना
हुआ है, लेकिन आबादी में वृद्धि और बढ़ती संपन्नता से खाद्य तेल की खपत
लगातार बढ़ रही है।'....रॉयटर्स
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