केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को आमदनी का वैकल्पिक
स्रोत मुहैया कराने पर विचार कर रही है। इसमें स्थानीय कोल्हुओं को
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग की श्रेणी में शामिल कर उन्हें प्रोत्साहन
मुहैया कराया जाएगा। गन्ने की पेराई कर गुड़ और खांड बनाने वाले इन
कोल्हुओं को एमएसएमई में शामिल किए जाने से ये सरकारी लाभ और कर रियायतें
प्राप्त कर सकेंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बागपत और शामली जिलों में अगले
चीनी सीजन से गुड़ बनाने वाली स्थानीय इकाइयों को फिर से शुरू करने की
प्रायोगिक परियोजना की योजना बनाई जा रही है। अगला सीजन अक्टूबर 2016 से
शुरू होगा। इन तीनों जिलों को अपने परंपरागत गुड़ एवं खांडसारी उद्योग के
लिए जाना जाता है। ये उत्तर प्रदेश के बड़े गन्ना उत्पादक क्षेत्र भी हैं।
इन जिलों में निजी क्षेत्र की कुछ बड़ी चीनी मिलें भी हैं। अकेले
मुजफ्फरनगर में ही 14 से ज्यादा चीनी मिले हैं, जो उत्तर प्रदेश के किसी
जिले में सबसे अधिक मिलें हैं। अधिकारियों ने कहा कि कोल्हू लगाने और उन पर
कर कम करने की संभावना तलाशने के लिए राज्य सरकार से भी बातचीत की जाएगी।
इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाले कृषि राज्य मंत्री संजीव कुमार
बाल्यान ने बताया इसका मकसद पश्चिमी उत्तर प्रदेश
के गन्ना किसानों को आय का वैकल्पिक स्रोत मुहैया कराना है ताकि वे केवल
चीनी मिलों पर निर्भर न रहें। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले
उद्योग मंत्री कलराज मिश्र के साथ शुरुआती बातचीत की योजना बनाई जा रही
है। (BS Hindi)
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