ग्वार के बजाए किसान अन्य फसलों की कर सकते हैं बुवाई
आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम की निर्यात मांग में कमी होने के साथ ही, ग्वार सीड का स्टॉक ज्यादा होने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतें पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। जोधपुर मंडी में ग्वार के भाव घटकर 5,100 रुपये और ग्वार सीड के भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू फसल सीजन में मानसून देर से तो आयेगा, लेकिन बारिष ज्यादा होगी। ऐसे में आगामी दिनों मंे ग्वार गम और ग्वार सीड की कीमतों में सीमित घटबढ़ रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों में ग्वार गम की निर्यात मांग 46.5 फीसदी कम रही है। सूत्रों के अनुसार ग्वार सीड की पैदावार करीब 26 से 30 लाख टन की हुई थी। देष में ग्वार की कुल पैदावार 70 फीसदी राजस्थान में तथा 10 फीसदी हरियाणा में होती है। इसके अलावा गुजरात और पंजाब में भी होता है। राजस्थान के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में 22.2 लाख टन की पैदावार हुई है जोकि दूसरे आरंभिक अनुमान से 6.7 फीसदी ज्यादा है। दूसरे आरंभिक अनुुमान के अनुसार राजस्थान में ग्वार सीड की पैदावार 20.83 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।
हरियाणा के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार सीड की पैदावार 2015-16 मंें 2.83 लाख टन की हुई है। उधर गुजरात के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार की पैदावार 1.93 लाख टन की हुई है।
चालू सीजन में ग्वार सीड के भाव में आई भारी कमी को देखते हुए खरीफ में इसकी बुवाई में कमी आने की आषंका है। सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है इसलिए किसान ग्वार के बजाए अन्य फसलों जैसे दलहन में मूंग और मोठ के अलावा कपास और मूंगफली की बुवाई को प्राथतिकता देंगे। आगामी सीजन में ग्वार गम और ग्वार सीड के भाव खरीफ में होने वाली बुुवाई के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों की तेजी-मंदी पर निर्भर करेंगी।
वित्त वर्ष 2015-16 में ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग में काफी कम रही है। अप्रैल से फरवरी 2016 के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 46.5 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 3.37 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.30 लाख टन और कुल निर्यात 6.88 लाख टन का हुआ था। फरवरी 2016 में केवल 36,482 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ जबकि फरवरी 2015 में 45,547 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
वित्त वर्ष 2015-16 के अर्प्रल-फरवरी के दौरान हुए कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 42.8 फीसदी रही है जबकि चीन की 9.3 फीसदी की जर्मनी 5.4 फीसदी रही। अमेरिका ने इस दौरान 1.44 लाख टन ग्वार गम उत्पादों का आयात किया है।
ग्वार गम और ग्वार सीड की तेजी-मंदी अब मानसून की खबरों के आधार पर ही रहेगी। माना जा रहा है ग्वार सीड के भाव 2,900 से 3,200 रुपये और ग्वार गम के भाव 5,000 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहने चाहिए। मानसूनी बारिष अच्छी हुई तो किसान ग्वार के बाजए खरीफ दलहन और कपास तथा मूंगफली की बुवाई तो तरजीह देंगे, क्योंकि ग्वार सीड के भाव न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुके हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनांें कच्चे तेल की कीमतों में सुधार आया है तथा इसकी कीमतों में आगे और बढ़ोतरी होती है तो ही ग्वार सीड के भाव सुधार बनेगा। इस समय उत्पादक राज्यों में ग्वार सीड का बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचा हुआ है।......आर एस राणा
आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम की निर्यात मांग में कमी होने के साथ ही, ग्वार सीड का स्टॉक ज्यादा होने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतें पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। जोधपुर मंडी में ग्वार के भाव घटकर 5,100 रुपये और ग्वार सीड के भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू फसल सीजन में मानसून देर से तो आयेगा, लेकिन बारिष ज्यादा होगी। ऐसे में आगामी दिनों मंे ग्वार गम और ग्वार सीड की कीमतों में सीमित घटबढ़ रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों में ग्वार गम की निर्यात मांग 46.5 फीसदी कम रही है। सूत्रों के अनुसार ग्वार सीड की पैदावार करीब 26 से 30 लाख टन की हुई थी। देष में ग्वार की कुल पैदावार 70 फीसदी राजस्थान में तथा 10 फीसदी हरियाणा में होती है। इसके अलावा गुजरात और पंजाब में भी होता है। राजस्थान के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में 22.2 लाख टन की पैदावार हुई है जोकि दूसरे आरंभिक अनुमान से 6.7 फीसदी ज्यादा है। दूसरे आरंभिक अनुुमान के अनुसार राजस्थान में ग्वार सीड की पैदावार 20.83 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।
हरियाणा के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार सीड की पैदावार 2015-16 मंें 2.83 लाख टन की हुई है। उधर गुजरात के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार की पैदावार 1.93 लाख टन की हुई है।
चालू सीजन में ग्वार सीड के भाव में आई भारी कमी को देखते हुए खरीफ में इसकी बुवाई में कमी आने की आषंका है। सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है इसलिए किसान ग्वार के बजाए अन्य फसलों जैसे दलहन में मूंग और मोठ के अलावा कपास और मूंगफली की बुवाई को प्राथतिकता देंगे। आगामी सीजन में ग्वार गम और ग्वार सीड के भाव खरीफ में होने वाली बुुवाई के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों की तेजी-मंदी पर निर्भर करेंगी।
वित्त वर्ष 2015-16 में ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग में काफी कम रही है। अप्रैल से फरवरी 2016 के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 46.5 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 3.37 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.30 लाख टन और कुल निर्यात 6.88 लाख टन का हुआ था। फरवरी 2016 में केवल 36,482 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ जबकि फरवरी 2015 में 45,547 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
वित्त वर्ष 2015-16 के अर्प्रल-फरवरी के दौरान हुए कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 42.8 फीसदी रही है जबकि चीन की 9.3 फीसदी की जर्मनी 5.4 फीसदी रही। अमेरिका ने इस दौरान 1.44 लाख टन ग्वार गम उत्पादों का आयात किया है।
ग्वार गम और ग्वार सीड की तेजी-मंदी अब मानसून की खबरों के आधार पर ही रहेगी। माना जा रहा है ग्वार सीड के भाव 2,900 से 3,200 रुपये और ग्वार गम के भाव 5,000 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहने चाहिए। मानसूनी बारिष अच्छी हुई तो किसान ग्वार के बाजए खरीफ दलहन और कपास तथा मूंगफली की बुवाई तो तरजीह देंगे, क्योंकि ग्वार सीड के भाव न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुके हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनांें कच्चे तेल की कीमतों में सुधार आया है तथा इसकी कीमतों में आगे और बढ़ोतरी होती है तो ही ग्वार सीड के भाव सुधार बनेगा। इस समय उत्पादक राज्यों में ग्वार सीड का बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचा हुआ है।......आर एस राणा
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