भारत का कपास
निर्यात सितंबर को समाप्त
होने वाले चालू
वर्ष में करीब
10 प्रतिशत घटकर
60 लाख
गांठ रह जाने
की संभावना है,
क्योंकि घरेलू कीमतों में
वृद्धि ने इसको
वैश्विक बाजार में गैर
प्रतिस्पर्धी बना दिया है।
भारत ने विपणन
वर्ष (अक्टूबर से
सितंबर) 2014-15 में 67 लाख गांठों
(एक गांठ 170 किलोग्राम) का
निर्यात किया था। भारत
के प्रमुख निर्यातक बांग्लादेश, पाकिस्तान और
वियतनाम जैसे देश हैं।
भारतीय कपास निगम
(सीसीआई) के चेयरमैन एवं
प्रबंध निदेशक बीके
मिश्रा ने बताया,
'अभी तक हमने
50 लाख
गांठों का निर्यात किया
है। अब आगे
निर्यात नहीं हो रहा
है क्योंकि इसकी
वैश्विक कीमतें घट रही
हैं और घरेलू
कीमतों में तेजी
है। वर्ष 2015-16 में कुल
कपास निर्यात करीब
60 लाख
गांठों का होगा।'
उन्होंने कहा कि पिछले
कुछ दिनों में
घरेलू कीमतें प्रति
कैंडी 1,000 रुपये बढ़कर 34,000-35,000 रुपये हो
गई है। उन्होंने कहा,
'मुझे लगता है
कि देश में
अक्टूबर से नई फसल
के आने तक
कुछ समय के
लिए बढ़त का
ये रुख जारी
रहेगा।' मिश्रा ने
कपास की बढ़ती
कीमतों की वजह
बताते हुए कहा
कि कीमतों में
वृद्धि का कारण
सूखे से घरेलू
कपास उत्पादन में
गिरावट आना है
जो वर्ष 2015-16 में 3.53 करोड़
गांठ होने का
अनुमान है जो
इसके पिछले वर्ष
में 3.8 करोड़ गांठ
था।
इस परिस्थिति के
कारण व्यापारी कपास
का निर्यात नहीं
कर रहे हैं
क्योंकि वैश्विक बाजार में उन्हें
बेहतर मार्जिन नहीं
प्राप्त हो रहा है
और उन्हें घरेलू
बाजार में अधिक
संभावनाएं दिखाई दे रही
हैं। उन्होंने कहा
कि अधिकांश भारतीय
कपास पाकिस्तान को
निर्यात की गई है
जो चालू वर्ष
में अभी तक
20 लाख
गांठ है। कीमतें
जब समर्थन मूल्य
से नीचे चली
जाती हैं तो
सीसीआई किसानों से
कपास की खरीद
करती है। सीसीआई
ने कहा कि
चालू वर्ष में
अभी तक उसने
8,40,000 कपास
गांठ की खरीद
की है। कपास
की कीमतों के
बढऩे के साथ
मिश्रा ने कहा,
'मुझे नहीं लगता
कि कोई और
खरीद होगी क्योंकि कीमतें
न्यूनतम समर्थन मूल्य से
अधिक जा रही
हैं।
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