सरकार ने चीनी की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने वाले हर कदम उठाने शुरु
कर दिए हैं। सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने बड़े और छोटे
कारोबारियों के लिए चीनी भंडारण सीमा तय कर दी है। चीनी की कीमतों में
लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह सरकार जमाखोरी मान रही है, जबकि कारोबारी
इसके लिए कम उत्पादन को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस साल चीनी के दाम 40
फीसदी बढ़ चुके हैं। उत्पादन कम होने की वजह से कीमतें और बढऩे की आशंका
जताई जा रही है।
देश में चीनी के सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने चीनी भंडारण
सीमा लागू कर दी है। पिछले महीने केंद्र सरकार ने चीनी पर भंडारण सीमा को
मंजूरी दी थी। राज्य में बड़े कारोबारी 500 टन से ज्यादा भंडार स्टॉक नहीं
रख सकेंगे जबकि खुदरा कारोबारियों के लिए 50 टन की भंडारण सीमा रखी गई है।
चीनी पर सरकार के तेवर लगातार सख्त होने की वजह चीनी के लगातार दामों मेंं
बढ़ोतरी है। थोक बाजार में मई 2015 में चीनी के दाम 2640 रुपये प्रति
क्ंिवटल पर थे जबकि इस समय 3700 रुपये प्रति क्ंिवटल पार कर चुके हैं। इस
साल की शुरुआत में 3200 रुपये प्रति क्ंिवटल के हिसाब से चीनी बिक रही थी।
खुदरा बाजार मेंं चीनी 45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है।
महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम कालाबाजारी को रोकने के लिए उठाए हैं।
अधिकारियों का कहना है स्टॉक लिमिट की अधिसूचना एक सप्ताह पहले दी गई थी
जिसे अब लागू कर दी गई है। दरअसल बाजार मेंं उत्पादन कम होने और मांग बढऩे
की बात प्रचारित हो रही है जिससे जमाखोरी और कालाबाजारी की आशंका बढ़ जाती
है, इसीलिए यह कदम उठाया गया है जिसका सख्ती से पालन किया जाएगा जबकि
कारोबारियों का कहना है कि सूखे के कारण लागत बढऩे और गन्ना का मूल्य बढऩे
की वजह से दाम बढ़े हैं। इस्मा के अनुसार सरकार इस तरह के कदम जल्दबाजी में
उठा रही है। आयात शुल्क में 40 फीसदी तक की कटौती की खबरें और भंडारण सीमा
लिमिट जैसे सरकारी रुख से चीनी कारोबारी हैरान हो रहे हैं उनका कहना है कि
इससे स्थानीय कीमतें गिरेगी जिसका नुकसान उद्योग के साथ किसानों को भी
होगा क्योंकि वर्तमान कीमतें लगात से बस थोड़ी ज्यादा है।
भयानक सूखे की मार झेल रहा महाराष्ट्र चीनी वर्ष 2015-16 में चीनी का
उत्पादन पिछले साल से करीब 20 फीसदी कम हुआ है। इस्मा के आंकड़ों के
मुताबिक राज्य में इस साल 83.75 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ हुआ जबकि पिछले
साल 30 अप्रैल 2015 तक 103.74 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। अगले चीनी
वर्ष मेंं यह उत्पादन और भी कम होने की आशंका है क्योंकि सूखे के कारण चीनी
का रकबा कम होना तय माना जा रहा है। चीनी वर्ष 2015-16 में 30 अप्रैल तक
उत्तर प्रदेश में 68 लाख चीनी का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल उत्तर प्रदेश
में 70.42 लाख चीनी का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें