आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश करते हुए वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि और कृषि ऋण, बीमा कवरेज और सिंचाई सुविधाओं जैसी कुछ बुनियादी चुनौतियों का समाधान करने की तत्काल जरुरत है।
संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्र की कुछ बुनियादी चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता है। कृषि जिंसों के लिए वैश्विक बाजारों की खोज पर ध्यान देने की जरुरत है। कृषि, जल संरक्षण, बेहतर कृषि पद्धतियों के माध्यम से पैदावार में सुधार, बाजार तक पहुंच, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच संबंधों को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
सर्वेक्षण के अनुसार, एक प्रभावी जल संरक्षण तंत्र सुनिश्चित करते हुए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता है। कृषि ऋण के प्रावधान के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण की जरुरत है। चूंकि छोटे और सीमांत किसानों की जोत का अनुपात काफी बड़ा है अत: विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए संबद्ध क्षेत्रों, जैसे पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन, को रोजगार और आय का एक सुनिश्चित माध्यमिक स्रोत प्रदान करने के लिए बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
खेती में मशीनीकरण पर जोर देने की जरुरत
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जमीन, जल संसाधन और श्रम शक्ति में कमी आने के साथ उत्पादन का मशीनरीकरण तथा फसल कटाई के बाद के प्रचालनों पर जिम्मेदारी आ जाती है। कृषि के मशीनरीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। कृषि में मशीनरीकरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन (59.5 फीसदी) तथा ब्राजील (75 फीसदी) की तुलना में भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 फीसदी हुआ है।
ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय का दूसरा महत्वपूर्ण साधन
लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय का दूसरा महत्वपूर्ण साधन है और यह क्षेत्र किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 7.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मछलीपालन खाद्य, पोषाहार, रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन रहा है। मछलीपालन क्षेत्र से देश में लगभग 16 मिलियन मछुआरों और मछलीपालक किसानों की आजीविका चलती है। मछलीपालन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। इस क्षेत्र के महत्व को समझते हुए 2019 में स्वतंत्र मछलीपालन विभाग बनाया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। प्रसंस्करण के उच्च स्तर से बर्बादी कम होती है, मूल्यवर्धन में सुधार होता है, फसल की विविधता को प्रोत्साहन मिलता है, किसानों को बेहतर लाभ मिलता है तथा रोजगार प्रोत्साहन के साथ-साथ निर्यात आय में भी वृद्धि होती है। 2017-18 में समाप्त होने वाले पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 5.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 2011-12 के मूल्यों पर विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) क्रमशः 8.83 प्रतिशत और 10.66 प्रतिशत रहा।
पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत
आर्थिक समीक्षा में पूर्वोत्तर में ऋण के तेज वितरण में सुधार के लिए पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। फसल बीमा की जरूरत पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लाभों के बारे में बताया गया है, जिसकी शुरुआत 2016 में फसल बुवाई से पहले से लेकर, फसल कटाई के बाद तक के प्राकृतिक जोखिमों को कवर करने के लिए की गई थी। पीएमएफबीवाई की वजह से सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) मौजूदा 23 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। सरकार ने एक राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल का भी गठन किया, जिसमें सभी हितधारकों के लिए इंटरफेस उपलब्ध है।
खाद्य सब्सिडी बिल में कमी के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की दरों की समीक्षा
विकास प्रक्रिया की स्वाभाविक राह और अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलाव की वजह से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान मौजूदा मूल्य पर देश के सकल मूल्य वर्धन में वर्ष 2014-15 के 18.2 फीसदी से घटकर वर्ष 2019-20 में 16.5 फीसदी हो गया। आर्थिक समीक्षा में बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दरों की समीक्षा का प्रस्ताव किया गया है। आर्थिक समीक्षा में भारतीय खाद्य निगम के बफर स्टॉक के विवेकपूर्ण प्रबंधन की भी सलाह दी गई है।
पीएमकेएसवाई के साथ ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई योजनाओं पर जोर
खेतों के स्तर पर जल इस्तेमाल की क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी योजनाओं के जरिए सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई) के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। आर्थिक समीक्षा में नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये के आरंभिक फंड के गठन के साथ समर्पित सूक्ष्म सिंचाई फंड की भी चर्चा की गई।.............. आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश करते हुए वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि और कृषि ऋण, बीमा कवरेज और सिंचाई सुविधाओं जैसी कुछ बुनियादी चुनौतियों का समाधान करने की तत्काल जरुरत है।
संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्र की कुछ बुनियादी चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता है। कृषि जिंसों के लिए वैश्विक बाजारों की खोज पर ध्यान देने की जरुरत है। कृषि, जल संरक्षण, बेहतर कृषि पद्धतियों के माध्यम से पैदावार में सुधार, बाजार तक पहुंच, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच संबंधों को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
सर्वेक्षण के अनुसार, एक प्रभावी जल संरक्षण तंत्र सुनिश्चित करते हुए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता है। कृषि ऋण के प्रावधान के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण की जरुरत है। चूंकि छोटे और सीमांत किसानों की जोत का अनुपात काफी बड़ा है अत: विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए संबद्ध क्षेत्रों, जैसे पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन, को रोजगार और आय का एक सुनिश्चित माध्यमिक स्रोत प्रदान करने के लिए बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
खेती में मशीनीकरण पर जोर देने की जरुरत
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जमीन, जल संसाधन और श्रम शक्ति में कमी आने के साथ उत्पादन का मशीनरीकरण तथा फसल कटाई के बाद के प्रचालनों पर जिम्मेदारी आ जाती है। कृषि के मशीनरीकरण से भारतीय कृषि वाणिज्यिक कृषि के रूप में परिवर्तित हो जाएगी। कृषि में मशीनरीकरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन (59.5 फीसदी) तथा ब्राजील (75 फीसदी) की तुलना में भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 फीसदी हुआ है।
ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय का दूसरा महत्वपूर्ण साधन
लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पशुधन आय का दूसरा महत्वपूर्ण साधन है और यह क्षेत्र किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 7.9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मछलीपालन खाद्य, पोषाहार, रोजगार और आय का महत्वपूर्ण साधन रहा है। मछलीपालन क्षेत्र से देश में लगभग 16 मिलियन मछुआरों और मछलीपालक किसानों की आजीविका चलती है। मछलीपालन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में वार्षिक औसत वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है। इस क्षेत्र के महत्व को समझते हुए 2019 में स्वतंत्र मछलीपालन विभाग बनाया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। प्रसंस्करण के उच्च स्तर से बर्बादी कम होती है, मूल्यवर्धन में सुधार होता है, फसल की विविधता को प्रोत्साहन मिलता है, किसानों को बेहतर लाभ मिलता है तथा रोजगार प्रोत्साहन के साथ-साथ निर्यात आय में भी वृद्धि होती है। 2017-18 में समाप्त होने वाले पिछले छह वर्षों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लगभग 5.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) से बढ़ रहा है। वर्ष 2017-18 में 2011-12 के मूल्यों पर विनिर्माण तथा कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) क्रमशः 8.83 प्रतिशत और 10.66 प्रतिशत रहा।
पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत
आर्थिक समीक्षा में पूर्वोत्तर में ऋण के तेज वितरण में सुधार के लिए पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया गया है। फसल बीमा की जरूरत पर बल देते हुए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के लाभों के बारे में बताया गया है, जिसकी शुरुआत 2016 में फसल बुवाई से पहले से लेकर, फसल कटाई के बाद तक के प्राकृतिक जोखिमों को कवर करने के लिए की गई थी। पीएमएफबीवाई की वजह से सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) मौजूदा 23 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। सरकार ने एक राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल का भी गठन किया, जिसमें सभी हितधारकों के लिए इंटरफेस उपलब्ध है।
खाद्य सब्सिडी बिल में कमी के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की दरों की समीक्षा
विकास प्रक्रिया की स्वाभाविक राह और अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलाव की वजह से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का योगदान मौजूदा मूल्य पर देश के सकल मूल्य वर्धन में वर्ष 2014-15 के 18.2 फीसदी से घटकर वर्ष 2019-20 में 16.5 फीसदी हो गया। आर्थिक समीक्षा में बढ़ते खाद्य सब्सिडी बिल को कम करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दरों की समीक्षा का प्रस्ताव किया गया है। आर्थिक समीक्षा में भारतीय खाद्य निगम के बफर स्टॉक के विवेकपूर्ण प्रबंधन की भी सलाह दी गई है।
पीएमकेएसवाई के साथ ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई योजनाओं पर जोर
खेतों के स्तर पर जल इस्तेमाल की क्षमता बढ़ाने के लिए आर्थिक समीक्षा में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी योजनाओं के जरिए सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप एवं स्प्रिंकल सिंचाई) के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। आर्थिक समीक्षा में नाबार्ड के साथ 5,000 करोड़ रुपये के आरंभिक फंड के गठन के साथ समर्पित सूक्ष्म सिंचाई फंड की भी चर्चा की गई।.............. आर एस राणा
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