आर एस राणा
नई दिल्ली। खुदरा में दालों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए केंद्र सरकार, राज्य को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें बेचेगी, साथ ही मूंगफली दाने के निर्यात पर रोक के साथ ही खुले बाजार में डेढ़ लाख टन मूंगफली बेचने की तैयारी कर रही है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दालों की कीमतों को काबू करने के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय पूल से 15 रुपये प्रति किलो बाजार भाव से सस्ती दालें बेचने के लिए वित्त सचिव को पत्र लिखकर छूट देने की मांग की है। इसके तहत राज्य सरकार को 8.50 लाख टन दालें बेचने की योजना है। उन्होंने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी को रोकने के लिए मूंगफली दाने के निर्यात पर रोक लगाने के साथ ही डेढ़ लाख टन मूंगफली खुले बाजार में बेचने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि नेफेड के माध्यम से मूंगफली खुले बाजार में बेची जायेगी। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 1,89,736 टन मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,48,679 टन का निर्यात हुआ था।
केंद्रीय पूल में करीब 35 लाख टन दालों का बफर स्टॉक
उन्होंने बताया कि केंद्रीय पूल में मूल्य स्थिरिकरण कोष (पीएसएफ) के करीब 14.6 लाख टन दालों का बकाया स्टॉक है। इसके अलावा 21 लाख टन दालों का स्टॉक कृषि विभाग के पास मूल्य स्थिरिकरण योजना (पीएसएस) का है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक राज्य सरकार को बाजार भाव पर दालें बेची जा रही थी। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय भंडार और नाफेड के माध्यम से अरहर दाल 82 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है, तथा अब सफल के माध्यम से भी अरहर दाल की बिक्री शुरू की जायेगी।
खुदरा में दालों के साथ खाद्य तेलों के भाव बढ़े
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार सोमवार को दिल्ली में अरहर दाल का खुदरा भाव 95 रुपये, उड़द दाल का 110 रुपये, मूंग दाल का 105 रुपये, मसूर दाल का 76 रुपये और चना दाल का भाव 73 रुपये प्रति किलो रहा। पहली नवंबर को दिल्ली में अरहर दाल का भाव 97 रुपये, उड़द का 93 रुपये, मूंग का 90 रुपये और मसूर का 71 रुपये तथा चना का खुदरा भाव भी 71 रुपये प्रति किलो था। उत्पादक मंडियों में अरहर की आवक बढ़ी है, जबकि उड़द और मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है। सोया रिफाइंड तेल का भाव खुदरा में सोमवार को 122 रुपये और पॉम तेल का 108 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि पहली नवंबर को इनका भाव क्रमश: 105 और 81 रुपये प्रति किलो था।
चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़कर 22.51 लाख टन का हो चुका है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 15.30 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वर्ष के पहले 8 महीनों में दालों का आयात 63.55 फीसदी बढ़कर 7,609.53 करोड़ रुपये का हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,652.71 करोड़ रुपये मूल्य की दालों का आयात हुआ था।
खरीफ में दालों का उत्पादन अनुमान कम
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 के खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर 82.3 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 92.2 लाख टन का हुआ था। कई राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से उड़द और मूंग की फसल को नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार ने हाल ही में चालू वित्त वर्ष 2019—20 के लिए उड़द के आयात की तय मात्रा को डेढ़ लाख टन से बढ़ाकर चार लाख टन किया था।
रबी में दालों के साथ तिलहन की बुआई ज्यादा
मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में दालों की बुआई बढ़कर 157.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 149.53 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 95.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 105.35 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है। मसूर की बुआई चालू रबी में 15.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 16.84 लाख हेक्टेयर से कम है। रबी तिलहन की बुआई चालू सीजन में 79.25 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 79.17 लाख हेक्टेयर में इनकी बुआई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 68.98 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 69.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। खुदरा में दालों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए केंद्र सरकार, राज्य को बाजार भाव से 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें बेचेगी, साथ ही मूंगफली दाने के निर्यात पर रोक के साथ ही खुले बाजार में डेढ़ लाख टन मूंगफली बेचने की तैयारी कर रही है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दालों की कीमतों को काबू करने के लिए राज्य सरकारों को केंद्रीय पूल से 15 रुपये प्रति किलो बाजार भाव से सस्ती दालें बेचने के लिए वित्त सचिव को पत्र लिखकर छूट देने की मांग की है। इसके तहत राज्य सरकार को 8.50 लाख टन दालें बेचने की योजना है। उन्होंने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी को रोकने के लिए मूंगफली दाने के निर्यात पर रोक लगाने के साथ ही डेढ़ लाख टन मूंगफली खुले बाजार में बेचने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि नेफेड के माध्यम से मूंगफली खुले बाजार में बेची जायेगी। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 1,89,736 टन मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,48,679 टन का निर्यात हुआ था।
केंद्रीय पूल में करीब 35 लाख टन दालों का बफर स्टॉक
उन्होंने बताया कि केंद्रीय पूल में मूल्य स्थिरिकरण कोष (पीएसएफ) के करीब 14.6 लाख टन दालों का बकाया स्टॉक है। इसके अलावा 21 लाख टन दालों का स्टॉक कृषि विभाग के पास मूल्य स्थिरिकरण योजना (पीएसएस) का है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक राज्य सरकार को बाजार भाव पर दालें बेची जा रही थी। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय भंडार और नाफेड के माध्यम से अरहर दाल 82 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है, तथा अब सफल के माध्यम से भी अरहर दाल की बिक्री शुरू की जायेगी।
खुदरा में दालों के साथ खाद्य तेलों के भाव बढ़े
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार सोमवार को दिल्ली में अरहर दाल का खुदरा भाव 95 रुपये, उड़द दाल का 110 रुपये, मूंग दाल का 105 रुपये, मसूर दाल का 76 रुपये और चना दाल का भाव 73 रुपये प्रति किलो रहा। पहली नवंबर को दिल्ली में अरहर दाल का भाव 97 रुपये, उड़द का 93 रुपये, मूंग का 90 रुपये और मसूर का 71 रुपये तथा चना का खुदरा भाव भी 71 रुपये प्रति किलो था। उत्पादक मंडियों में अरहर की आवक बढ़ी है, जबकि उड़द और मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है। सोया रिफाइंड तेल का भाव खुदरा में सोमवार को 122 रुपये और पॉम तेल का 108 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि पहली नवंबर को इनका भाव क्रमश: 105 और 81 रुपये प्रति किलो था।
चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दालों का आयात 47.12 फीसदी बढ़कर 22.51 लाख टन का हो चुका है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 15.30 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वर्ष के पहले 8 महीनों में दालों का आयात 63.55 फीसदी बढ़कर 7,609.53 करोड़ रुपये का हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4,652.71 करोड़ रुपये मूल्य की दालों का आयात हुआ था।
खरीफ में दालों का उत्पादन अनुमान कम
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 के खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर 82.3 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 92.2 लाख टन का हुआ था। कई राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से उड़द और मूंग की फसल को नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार ने हाल ही में चालू वित्त वर्ष 2019—20 के लिए उड़द के आयात की तय मात्रा को डेढ़ लाख टन से बढ़ाकर चार लाख टन किया था।
रबी में दालों के साथ तिलहन की बुआई ज्यादा
मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में दालों की बुआई बढ़कर 157.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 149.53 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 95.44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 105.35 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है। मसूर की बुआई चालू रबी में 15.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 16.84 लाख हेक्टेयर से कम है। रबी तिलहन की बुआई चालू सीजन में 79.25 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 79.17 लाख हेक्टेयर में इनकी बुआई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 68.98 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 69.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।............. आर एस राणा
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