आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों पर आयात की निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार बजट में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) जाने की योजना बना रही है, जिसका मकसद घरेलू स्तर पर तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना है। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन की होती है, जबकि उत्पादन लगभग 100 लाख टन का ही है। अत: सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एनएमईओ का ड्राफ्ट लगभग तैयार हो गया है। एनएमईओ के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लांच किया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष में इसे अमल में लाने की योजना है। किसानों को तिलहन की फसलें समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बेचनी पड़ती हैं, साथ ही तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है। गेहूं और धान के मुकाबले तिलहनी फसलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम होता है। जिस कारण किसान तिलहन की खेती को प्राथमिकता नहीं देते।उन्होंने बताया कि एनएमईओ के तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके तहत तिलहन किसानों को फसलों के वाजिब दाम देने के साथ ही आयातित खाद्य तेलों के शुल्क में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य उपाय भी शामिल हैं। चालू सप्ताह में ही केंद्र सरकार ने रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल किया है।
फसल सीजन 2013-14 के बाद से तिलहन उत्पादन में आई कमी
देश में तिलहनों का रिकार्ड उत्पादन फसल सीजन 2013-14 में 327.49 लाख टन का हुआ था, लेकिन उसके बाद से इसमें कमी दर्ज की गई। फसल सीजन 2014-15 में तिलहन का उत्पादन घटकर 275.11 लाख टन और वर्ष 2015-16 में केवल 252.51 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2016-17 और 2017-18 में उत्पादन क्रमश: 312.76 और 314.59 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2018-19 में तिलहन का उत्पादन 322.57 लाख टन का हुआ है। तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले पांच साल में तिलहनों का बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य एनएमईओ में किया गया है।
सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं खाद्य तेलों के आयात पर
खाद्य तेलों का आयात तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के दौरान 149.13 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष में आयात 145.16 लाख टन का हुआ था। तेल वर्ष 2016-17 में देश में रिकार्ड 150.77 लाख टन का हुआ था। उद्योग के अनुसार खाद्य तेलों के आयात पर सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है।
अक्टूबर से अभी तक आयातित खाद्य तेल 42 से 50 फीसदी तक हुए महंगे
देश में खाद्य तेल के कुल आयात में 65 फीसदी हिस्सेदारी पाम तेल की है। पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से किया जाता है, तथा इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम तेल का उपयोग बायोडीजल में बढ़ने से आयात महंगा हो गया। घरेलू बाजार में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में अक्टूबर से अभी तक करीब 42 से 50 फीसदी की तेजी आ चुकी है। आरबीडी पॉमोलीन का भाव अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर 567 डॉलर प्रति टन था जोकि दिसंबर अंत में बढ़कर 850 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी तरह से क्रुड पाम तेल का भाव इस दौरान 541 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 770 डॉलर प्रति टन हो गए।.......... आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों पर आयात की निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार बजट में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) जाने की योजना बना रही है, जिसका मकसद घरेलू स्तर पर तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना है। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन की होती है, जबकि उत्पादन लगभग 100 लाख टन का ही है। अत: सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एनएमईओ का ड्राफ्ट लगभग तैयार हो गया है। एनएमईओ के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लांच किया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष में इसे अमल में लाने की योजना है। किसानों को तिलहन की फसलें समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बेचनी पड़ती हैं, साथ ही तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है। गेहूं और धान के मुकाबले तिलहनी फसलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम होता है। जिस कारण किसान तिलहन की खेती को प्राथमिकता नहीं देते।उन्होंने बताया कि एनएमईओ के तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके तहत तिलहन किसानों को फसलों के वाजिब दाम देने के साथ ही आयातित खाद्य तेलों के शुल्क में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य उपाय भी शामिल हैं। चालू सप्ताह में ही केंद्र सरकार ने रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल किया है।
फसल सीजन 2013-14 के बाद से तिलहन उत्पादन में आई कमी
देश में तिलहनों का रिकार्ड उत्पादन फसल सीजन 2013-14 में 327.49 लाख टन का हुआ था, लेकिन उसके बाद से इसमें कमी दर्ज की गई। फसल सीजन 2014-15 में तिलहन का उत्पादन घटकर 275.11 लाख टन और वर्ष 2015-16 में केवल 252.51 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2016-17 और 2017-18 में उत्पादन क्रमश: 312.76 और 314.59 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2018-19 में तिलहन का उत्पादन 322.57 लाख टन का हुआ है। तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले पांच साल में तिलहनों का बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य एनएमईओ में किया गया है।
सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं खाद्य तेलों के आयात पर
खाद्य तेलों का आयात तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के दौरान 149.13 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष में आयात 145.16 लाख टन का हुआ था। तेल वर्ष 2016-17 में देश में रिकार्ड 150.77 लाख टन का हुआ था। उद्योग के अनुसार खाद्य तेलों के आयात पर सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है।
अक्टूबर से अभी तक आयातित खाद्य तेल 42 से 50 फीसदी तक हुए महंगे
देश में खाद्य तेल के कुल आयात में 65 फीसदी हिस्सेदारी पाम तेल की है। पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से किया जाता है, तथा इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम तेल का उपयोग बायोडीजल में बढ़ने से आयात महंगा हो गया। घरेलू बाजार में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में अक्टूबर से अभी तक करीब 42 से 50 फीसदी की तेजी आ चुकी है। आरबीडी पॉमोलीन का भाव अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर 567 डॉलर प्रति टन था जोकि दिसंबर अंत में बढ़कर 850 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी तरह से क्रुड पाम तेल का भाव इस दौरान 541 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 770 डॉलर प्रति टन हो गए।.......... आर एस राणा
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