आर एस राणा
नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव से देश से बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ा है जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में नरमी आई है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) ने स्थिति में सुधार होने तक अपने सदस्यों से बासमती चाववल की खेप नहीं भेजने को कहा है।
एआईआरईए ने अपनी सदस्यों को एक बयान जारी कहा है कि स्थिति में सुधार होने तक बासमती चावल की नई खेप ईरान को नहीं भेजे। एआईआरईए के अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि अभी की स्थिति में ईरान को बासमती चावल का निर्यात संभव नहीं है। हमने अपने सदस्यों को परामर्श जारी कर सावधान रहने तथा स्थिति में सुधार होने तक नई खेप नहीं भेजने को कहा है। बासमती चावल के निर्यात सौदे कम होने का नुकसान बासमती धान के किसानों को उठाना पड़ेगा।
बासमती धान के साथ ही चावल की कीमतों में आई गिरावट
हरियाणा की कैथल मंडी के बासमती चावल कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने आउटलुक को बताया कि अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव का असर बासमती चावल और धान की कीमतों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में पहले ही बासमती चावल का निर्यात कम हो रहा था, अब इसमें और भी कमी आने की आशंका है। उन्होंने बताया कि सोमवार को पूसा 1,121 धान के भाव मंडी में घटकर 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे गए, जबकि पिछले सप्ताह इसके भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी तरह से पूसा 1,121 बासमती चावल सेला के भाव घटकर 5,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। डीपी पूसा धान के भाव घटकर मंडी में 2,550 रुपये और ट्रेडिशनल बासमती धान के भाव 3,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में निर्यात में आई है कमी
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 20.57 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 22.94 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात 15,564 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 16,963 करोड़ रुपये का हुआ था।
भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक है ईरान
वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने 32,800 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात किया था। इसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपये का बासमती चावल अकेले ईरान को निर्यात किया गया था। इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में शीर्ष ईरानी कमांडर कासेम सोलेमानी के मारे जाने के बाद से तनाव बढ़ गया है। चालू वित्त वर्ष के आरंभ से ही ईरान को भारत से बासमती चावल के निर्यात सौदे कम रहे हैं।
निर्यातकों का लगभग 900 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान अभी भी अटका हुआ है
गुप्ता ने बताया कि जून 2019 तक निर्यात किए गए बासमती चावल के निर्यातकों के लगभग 900 करोड़ रुपये का भुगतान अभी भी बाकी है। उन्होंने बताया कि ईरान भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है, अत: निर्यात में कमी आने से कीमतों में भी गिरावट आयेगी। बासमती धान की फसल सितंबर, अक्टूबर में आती है जिस कारण नवंबर से निर्यात सौदों में तेजी आती है, लेकिन इस बार निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। ईरान, भारत से बासमती चावल की खरीद के लिए सालाना करीब 2 लाख टन की लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी करता है जबकि बाकि का निर्यात सीधे निजी निर्यातकों के माध्यम से किया जाता है।...... आर एस राणा
नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव से देश से बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ा है जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में नरमी आई है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) ने स्थिति में सुधार होने तक अपने सदस्यों से बासमती चाववल की खेप नहीं भेजने को कहा है।
एआईआरईए ने अपनी सदस्यों को एक बयान जारी कहा है कि स्थिति में सुधार होने तक बासमती चावल की नई खेप ईरान को नहीं भेजे। एआईआरईए के अध्यक्ष नाथी राम गुप्ता ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि अभी की स्थिति में ईरान को बासमती चावल का निर्यात संभव नहीं है। हमने अपने सदस्यों को परामर्श जारी कर सावधान रहने तथा स्थिति में सुधार होने तक नई खेप नहीं भेजने को कहा है। बासमती चावल के निर्यात सौदे कम होने का नुकसान बासमती धान के किसानों को उठाना पड़ेगा।
बासमती धान के साथ ही चावल की कीमतों में आई गिरावट
हरियाणा की कैथल मंडी के बासमती चावल कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने आउटलुक को बताया कि अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव का असर बासमती चावल और धान की कीमतों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में पहले ही बासमती चावल का निर्यात कम हो रहा था, अब इसमें और भी कमी आने की आशंका है। उन्होंने बताया कि सोमवार को पूसा 1,121 धान के भाव मंडी में घटकर 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे गए, जबकि पिछले सप्ताह इसके भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी तरह से पूसा 1,121 बासमती चावल सेला के भाव घटकर 5,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। डीपी पूसा धान के भाव घटकर मंडी में 2,550 रुपये और ट्रेडिशनल बासमती धान के भाव 3,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में निर्यात में आई है कमी
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 20.57 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 22.94 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात 15,564 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 16,963 करोड़ रुपये का हुआ था।
भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक है ईरान
वित्त वर्ष 2018-19 में भारत ने 32,800 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात किया था। इसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपये का बासमती चावल अकेले ईरान को निर्यात किया गया था। इराक में अमेरिकी ड्रोन हमले में शीर्ष ईरानी कमांडर कासेम सोलेमानी के मारे जाने के बाद से तनाव बढ़ गया है। चालू वित्त वर्ष के आरंभ से ही ईरान को भारत से बासमती चावल के निर्यात सौदे कम रहे हैं।
निर्यातकों का लगभग 900 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान अभी भी अटका हुआ है
गुप्ता ने बताया कि जून 2019 तक निर्यात किए गए बासमती चावल के निर्यातकों के लगभग 900 करोड़ रुपये का भुगतान अभी भी बाकी है। उन्होंने बताया कि ईरान भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है, अत: निर्यात में कमी आने से कीमतों में भी गिरावट आयेगी। बासमती धान की फसल सितंबर, अक्टूबर में आती है जिस कारण नवंबर से निर्यात सौदों में तेजी आती है, लेकिन इस बार निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। ईरान, भारत से बासमती चावल की खरीद के लिए सालाना करीब 2 लाख टन की लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी करता है जबकि बाकि का निर्यात सीधे निजी निर्यातकों के माध्यम से किया जाता है।...... आर एस राणा
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