आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय बासमती चावल के निर्यातकों का ईरान में 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा अटका हुआ है, जिस कारण नए निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैेल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 5.13 फीसदी घटकर 23.63 लाख टन का ही हुआ है जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में इस दौरान 37.77 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 31.41 लाख टन का ही हुआ है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बासमती चावल का निर्यात घटकर 23.63 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 24.91 लाख टन का निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से इस दौरान बासमती चावल के निर्यात 3.2 फीसदी की गिरावट आकर कुल 17,723.2 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 18,439.8 करोड़ रुपये का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में घटकर 31.41 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 50.48 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से इसमें 35.77 फीसदी की गिरावट आकर कुल 9,028.3 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 14,059.5 करोड़ रुपये का हुआ था।
नवंबर, दिसंबर का ही करीब 700 करोड़ रुपये हो चुका है बकाया
ईरान के साथ ही सऊदी अरब को निर्यात सौदे कम होने के कारण बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने आउटलुक को बताया कि भारतीय निर्यातकों के नवंबर और दिसंबर में ईरान को किए गए निर्यात सौदों का ही 700 करोड़ रुपये से ज्यादा पैमेट अटक गया है, जबकि पुराना भी करीब 900 करोड़ रुपये अभी भी बचा हुआ है। अत: बकाया बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है जिस कारण निर्यातक नए निर्यात सौदे नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने केंद्र सरकार को लिखा है कि ईरान को बासमती चावल का निर्यात सिर्फ एडवांस पैमेंट के आधार पर किया जाये। उन्होंने बताया कि जैसे की थाइलैंड एडवांस पैमेंट लेकर ही चावल का निर्यात करता है।
आगामी महीनों में इसके निर्यात में और कमी आने का अनुमान
उन्होंने बताया कि अमेरिका और ईरान की बीच तनाव के कारण भारतीय निर्यातक ईरान को नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही कर हैं, जिस कारण आगामी महीनों में इसके निर्यात में और कमी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि ईरान को नवंबर में करीब 70 हजार टन और दिसंबर में 1.50 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है, जिसमें से एक लाख टन का निर्यात एडवांस लाइसेंस के तहत हुआ है।
बासमती धान की कीमतों में आई गिरावट
हरियाणा की कैथल मंडी में कारोबारी रामनिवास खुरानियां ने बताया कि राइस मिलों की मांग कमजोर होने से ट्रेडिशनल बासमती धान की कीमतें घटकर 3,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इसकी कीमतों में उपर से 200 रुपये का मंदा आया है। पूसा 1,121 बासमती धान के भाव मंडी में 2,925 से 2,950 रुपये और इसके सेला चावल के भाव 5,275 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे। डीपी धान के भाव 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण मंडी में धान की दैनिक आवक कम हो रही है।........... आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय बासमती चावल के निर्यातकों का ईरान में 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा अटका हुआ है, जिस कारण नए निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले आठ महीनों अप्रैेल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 5.13 फीसदी घटकर 23.63 लाख टन का ही हुआ है जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में इस दौरान 37.77 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 31.41 लाख टन का ही हुआ है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बासमती चावल का निर्यात घटकर 23.63 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 24.91 लाख टन का निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से इस दौरान बासमती चावल के निर्यात 3.2 फीसदी की गिरावट आकर कुल 17,723.2 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 18,439.8 करोड़ रुपये का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में घटकर 31.41 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 50.48 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से इसमें 35.77 फीसदी की गिरावट आकर कुल 9,028.3 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 14,059.5 करोड़ रुपये का हुआ था।
नवंबर, दिसंबर का ही करीब 700 करोड़ रुपये हो चुका है बकाया
ईरान के साथ ही सऊदी अरब को निर्यात सौदे कम होने के कारण बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने आउटलुक को बताया कि भारतीय निर्यातकों के नवंबर और दिसंबर में ईरान को किए गए निर्यात सौदों का ही 700 करोड़ रुपये से ज्यादा पैमेट अटक गया है, जबकि पुराना भी करीब 900 करोड़ रुपये अभी भी बचा हुआ है। अत: बकाया बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है जिस कारण निर्यातक नए निर्यात सौदे नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने केंद्र सरकार को लिखा है कि ईरान को बासमती चावल का निर्यात सिर्फ एडवांस पैमेंट के आधार पर किया जाये। उन्होंने बताया कि जैसे की थाइलैंड एडवांस पैमेंट लेकर ही चावल का निर्यात करता है।
आगामी महीनों में इसके निर्यात में और कमी आने का अनुमान
उन्होंने बताया कि अमेरिका और ईरान की बीच तनाव के कारण भारतीय निर्यातक ईरान को नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही कर हैं, जिस कारण आगामी महीनों में इसके निर्यात में और कमी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि ईरान को नवंबर में करीब 70 हजार टन और दिसंबर में 1.50 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है, जिसमें से एक लाख टन का निर्यात एडवांस लाइसेंस के तहत हुआ है।
बासमती धान की कीमतों में आई गिरावट
हरियाणा की कैथल मंडी में कारोबारी रामनिवास खुरानियां ने बताया कि राइस मिलों की मांग कमजोर होने से ट्रेडिशनल बासमती धान की कीमतें घटकर 3,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इसकी कीमतों में उपर से 200 रुपये का मंदा आया है। पूसा 1,121 बासमती धान के भाव मंडी में 2,925 से 2,950 रुपये और इसके सेला चावल के भाव 5,275 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे। डीपी धान के भाव 2,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण मंडी में धान की दैनिक आवक कम हो रही है।........... आर एस राणा
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