आर एस राणा
नई दिल्ली। अफ्रीकी देशों में अब तक भारतीय गैर-बासमती चावल का बोलबाला था, लेकिन अब इन देशों में चीन, भारत से सस्ता चावल निर्यात कर रहा है। जिस कारण भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात में भारी कमी आई है।
चीन चावल का बड़ा आयातक देश रहा है, लेकिन इस बार गैर-बासमती चावल का बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहा है जिसका सीधा असर भारत से होने वाले निर्यात पर पड़ रहा है। चावल निर्यात में भारत सबसे बड़ देश रहा है, लेकिन इस प्रतिस्पर्धा में अब चीन उतर आया है। सूत्रों के अनुसार उद्योग भवन में पॉलिसी बनाने से लेकर चावल निर्यात करने वाली शीर्ष मिलों की निगाहें भी बड़ी सतर्कता के साथ चीन को देख रहीं हैं, क्योंकि यह अफ्रीकी बाजारों में टनों चावल पहुंचा रहा है तो आम तौर पर भारत का काम होता था।
भारत से काफी सस्ते दाम पर निर्यात कर रहा है चीन
पिछले 6 महीनों में चीन ने अपने सरकारी वेयरहाउस से करीब 3 मिलियन टन से अधिक गैर-बासमती चावल की निकासी की है जिसमें से अफ्रीकी देशों में गैर-बासमती चावल की कई खेप भेजी गई हैं। उत्तराखंड के बड़े चावल निर्यातक लक्ष्य अग्रवाल ने कहा कि भारीतय गैर-बासमती चावल का भाव अफ्रीकन देशों में करीब 400 डॉलर प्रति टन हैं लेकिन चीन इससे काफी कम कीमत पर चावल निर्यात कर रहा है। मार्केट सूत्रों के अनुसार, चीन 300 से 320 डॉलर प्रति टन गैर-बासमती चावल का निर्यात कर रहा है। लक्ष्य अग्रवाल ने बताया कि भारत और चीन की दरों में काफी अंतर है। अगर ऐसा ही जारी रहा तो हमारे यहां से हो रहे निर्यात में और कमी आयेगी।
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में गैर-बासमती चावल के निर्यात में आई कमी
दशकों तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश रहा है, इसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान आदि देशों का नाम चावल निर्यातक में आता है। एक ओर जहां भारत शीर्ष स्थान को सुरक्षित रखना चाहता था वहीं भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आई है। सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से नवंबर के दौरान भारत से गैर-बासमती चावल का निर्यात घटकर मूल्य के हिसाब से 9,028.34 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में 14,059.51 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। एपीडा के अनुसार चीन गैर-बासमती चावल के पुराने स्टॉक को अफ्रीकन देशों को निर्यात कर रहा है।.......... आर एस राणा
नई दिल्ली। अफ्रीकी देशों में अब तक भारतीय गैर-बासमती चावल का बोलबाला था, लेकिन अब इन देशों में चीन, भारत से सस्ता चावल निर्यात कर रहा है। जिस कारण भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात में भारी कमी आई है।
चीन चावल का बड़ा आयातक देश रहा है, लेकिन इस बार गैर-बासमती चावल का बड़े पैमाने पर निर्यात कर रहा है जिसका सीधा असर भारत से होने वाले निर्यात पर पड़ रहा है। चावल निर्यात में भारत सबसे बड़ देश रहा है, लेकिन इस प्रतिस्पर्धा में अब चीन उतर आया है। सूत्रों के अनुसार उद्योग भवन में पॉलिसी बनाने से लेकर चावल निर्यात करने वाली शीर्ष मिलों की निगाहें भी बड़ी सतर्कता के साथ चीन को देख रहीं हैं, क्योंकि यह अफ्रीकी बाजारों में टनों चावल पहुंचा रहा है तो आम तौर पर भारत का काम होता था।
भारत से काफी सस्ते दाम पर निर्यात कर रहा है चीन
पिछले 6 महीनों में चीन ने अपने सरकारी वेयरहाउस से करीब 3 मिलियन टन से अधिक गैर-बासमती चावल की निकासी की है जिसमें से अफ्रीकी देशों में गैर-बासमती चावल की कई खेप भेजी गई हैं। उत्तराखंड के बड़े चावल निर्यातक लक्ष्य अग्रवाल ने कहा कि भारीतय गैर-बासमती चावल का भाव अफ्रीकन देशों में करीब 400 डॉलर प्रति टन हैं लेकिन चीन इससे काफी कम कीमत पर चावल निर्यात कर रहा है। मार्केट सूत्रों के अनुसार, चीन 300 से 320 डॉलर प्रति टन गैर-बासमती चावल का निर्यात कर रहा है। लक्ष्य अग्रवाल ने बताया कि भारत और चीन की दरों में काफी अंतर है। अगर ऐसा ही जारी रहा तो हमारे यहां से हो रहे निर्यात में और कमी आयेगी।
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में गैर-बासमती चावल के निर्यात में आई कमी
दशकों तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश रहा है, इसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान आदि देशों का नाम चावल निर्यातक में आता है। एक ओर जहां भारत शीर्ष स्थान को सुरक्षित रखना चाहता था वहीं भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आई है। सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से नवंबर के दौरान भारत से गैर-बासमती चावल का निर्यात घटकर मूल्य के हिसाब से 9,028.34 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में 14,059.51 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। एपीडा के अनुसार चीन गैर-बासमती चावल के पुराने स्टॉक को अफ्रीकन देशों को निर्यात कर रहा है।.......... आर एस राणा
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