आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए केंद्र सरकार बजट में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) लाने की योजना बना रही है, जिसका मकसद घरेलू स्तर पर तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना है। इसके तहत जहां उद्योग को क्षमता बढ़ाने के लिए सस्ता कर्ज देने की योजना है, वहीं किसानों को उन्नत किस्म के बीजों और खाद पर सब्सिडी दी जायेगी।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एनएमईओ का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, तथा पहली फरवरी 2020 को पेश होने वाले आम बजट 2020-21 में इसकी घोषणा हो सकती है। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत चार सब मिशन बनाए हैं। पहले मिशन में तिलहनी फसलों सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, तिल और कुसुम आदि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज और खाद आदि पर सब्सिडी देने की योजना है। इसके अलावा दूसरे मिशन के तहत उन फसलों का उत्पादन बढ़ाना है, जोकि अन्य उपयोग में आती है लेकिन इनसे तेल भी प्राप्त होता है जैसे कपास, केस्टर सीड और राइब्रान आदि। इसके अलावा तीसरे मिशन के तहत तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में प्रोसेसिंग उद्योग की स्थापना के साथ ही उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए सस्ता ऋण दिए जाने की योजना है। चौथे मिशन के तहत उपभोक्ताओं में जागरुकता पैदा करना, जिससे की प्रति व्यक्ति खाद्य तेलों की खपत में कमी आए।
तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है
तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है तथा गेहूं और धान के मुकाबले तिलहनी फसलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम होता है। जिस कारण किसान तिलहन की खेती को प्राथमिकता नहीं देते। उन्होंने बताया कि एनएमईओ के तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके तहत तिलहन किसानों को फसलों के वाजिब दाम देने के साथ ही आयातित खाद्य तेलों के शुल्क में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य उपाय भी शामिल हैं। हाल ही केंद्र सरकार ने रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल किया है। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन की होती है, जबकि उत्पादन लगभग 100 लाख टन का ही है। अत: सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है।
फसल सीजन 2013-14 के बाद तिलहन उत्पादन में आई कमी
देश में तिलहनों का रिकार्ड उत्पादन फसल सीजन 2013-14 में 327.49 लाख टन का हुआ था, लेकिन उसके बाद से इसमें कमी दर्ज की गई। फसल सीजन 2014-15 में तिलहन का उत्पादन घटकर 275.11 लाख टन और वर्ष 2015-16 में केवल 252.51 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2016-17 और 2017-18 में उत्पादन क्रमश: 312.76 और 314.59 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2018-19 में तिलहन का उत्पादन 322.57 लाख टन का हुआ है। तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले पांच साल में तिलहनों का बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य एनएमईओ में किया गया है।
सालाना 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का करते हैं आयात
उद्योग के अनुसार खाद्य तेलों के आयात पर सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। खाद्य तेलों का आयात तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के दौरान 149.13 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष में आयात 145.16 लाख टन का हुआ था। तेल वर्ष 2016-17 में देश में रिकार्ड 150.77 लाख टन का हुआ था।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए केंद्र सरकार बजट में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) लाने की योजना बना रही है, जिसका मकसद घरेलू स्तर पर तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना है। इसके तहत जहां उद्योग को क्षमता बढ़ाने के लिए सस्ता कर्ज देने की योजना है, वहीं किसानों को उन्नत किस्म के बीजों और खाद पर सब्सिडी दी जायेगी।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एनएमईओ का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, तथा पहली फरवरी 2020 को पेश होने वाले आम बजट 2020-21 में इसकी घोषणा हो सकती है। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत चार सब मिशन बनाए हैं। पहले मिशन में तिलहनी फसलों सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, तिल और कुसुम आदि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज और खाद आदि पर सब्सिडी देने की योजना है। इसके अलावा दूसरे मिशन के तहत उन फसलों का उत्पादन बढ़ाना है, जोकि अन्य उपयोग में आती है लेकिन इनसे तेल भी प्राप्त होता है जैसे कपास, केस्टर सीड और राइब्रान आदि। इसके अलावा तीसरे मिशन के तहत तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में प्रोसेसिंग उद्योग की स्थापना के साथ ही उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए सस्ता ऋण दिए जाने की योजना है। चौथे मिशन के तहत उपभोक्ताओं में जागरुकता पैदा करना, जिससे की प्रति व्यक्ति खाद्य तेलों की खपत में कमी आए।
तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है
तिलहन की ज्यादातर खेती असिंचित क्षेत्र में होती है तथा गेहूं और धान के मुकाबले तिलहनी फसलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम होता है। जिस कारण किसान तिलहन की खेती को प्राथमिकता नहीं देते। उन्होंने बताया कि एनएमईओ के तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके तहत तिलहन किसानों को फसलों के वाजिब दाम देने के साथ ही आयातित खाद्य तेलों के शुल्क में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य उपाय भी शामिल हैं। हाल ही केंद्र सरकार ने रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल किया है। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन की होती है, जबकि उत्पादन लगभग 100 लाख टन का ही है। अत: सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है।
फसल सीजन 2013-14 के बाद तिलहन उत्पादन में आई कमी
देश में तिलहनों का रिकार्ड उत्पादन फसल सीजन 2013-14 में 327.49 लाख टन का हुआ था, लेकिन उसके बाद से इसमें कमी दर्ज की गई। फसल सीजन 2014-15 में तिलहन का उत्पादन घटकर 275.11 लाख टन और वर्ष 2015-16 में केवल 252.51 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2016-17 और 2017-18 में उत्पादन क्रमश: 312.76 और 314.59 लाख टन का ही हुआ। फसल सीजन 2018-19 में तिलहन का उत्पादन 322.57 लाख टन का हुआ है। तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले पांच साल में तिलहनों का बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य एनएमईओ में किया गया है।
सालाना 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का करते हैं आयात
उद्योग के अनुसार खाद्य तेलों के आयात पर सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। खाद्य तेलों का आयात तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के दौरान 149.13 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले तेल वर्ष में आयात 145.16 लाख टन का हुआ था। तेल वर्ष 2016-17 में देश में रिकार्ड 150.77 लाख टन का हुआ था।............. आर एस राणा
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