आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है, जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर भी पड़ रहा है। अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि जुलाई में इनका आयात 26 फीसदी बढ़ा था। उत्पादक मंडियों में सरसों की कीमतें 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने सरसों का एमएसपी 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ। अगले महीने खरीफ तिलहन की फसलों सोयाबीन और मूंगफली की आवक बढ़ेगी, ऐसे में ज्यादा आयात का असर इनकी कीमतों पर भी रहेगा।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 15.86 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 15.12 लाख टन का हुआ था। अगस्त में हुए आयात में 15.23 लाख टन खाद्य तेल है जबकि 63,232 टन अखाद्य तेल हैं। चालू तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के पहले 10 महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान भी आयात में पांच फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 128,67,486 टन का हुआ है जबकि पिछते तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 122,78,673 टन का ही हुआ था।
जुलाई—अगस्त में ज्यादा होता है आयात
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने बताया कि खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन केवल 70 से 80 लाख टन का ही है जबकि हमारी सालाना खपत करीब 230 लाख टन की है। इसलिए सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो रहा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर जुलाई, अगस्त में खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होता है। अक्टूबर में घरेलू तिलहन की फसल की आवक शुरू हो जायेगी इसलिए नवंबर से खाद्य तेलों की आयात में कमी आने का अनुमान है।
अगस्त में महंगे हुए आयातित खाद्य तेल
एसईए के अनुसार आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में जुलाई के मुकाबले अगस्त में तेजी भी आई है। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव औसतन 571 डॉलर प्रति हो गया जबकि जुलाई में इसका भाव 532 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव जुलाई के 490 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 534 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव इस दौरान 695 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 729 डॉलर प्रति टन हो गया। ........... आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है, जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर भी पड़ रहा है। अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि जुलाई में इनका आयात 26 फीसदी बढ़ा था। उत्पादक मंडियों में सरसों की कीमतें 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने सरसों का एमएसपी 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ। अगले महीने खरीफ तिलहन की फसलों सोयाबीन और मूंगफली की आवक बढ़ेगी, ऐसे में ज्यादा आयात का असर इनकी कीमतों पर भी रहेगा।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 15.86 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 15.12 लाख टन का हुआ था। अगस्त में हुए आयात में 15.23 लाख टन खाद्य तेल है जबकि 63,232 टन अखाद्य तेल हैं। चालू तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के पहले 10 महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान भी आयात में पांच फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 128,67,486 टन का हुआ है जबकि पिछते तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 122,78,673 टन का ही हुआ था।
जुलाई—अगस्त में ज्यादा होता है आयात
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने बताया कि खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन केवल 70 से 80 लाख टन का ही है जबकि हमारी सालाना खपत करीब 230 लाख टन की है। इसलिए सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो रहा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर जुलाई, अगस्त में खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होता है। अक्टूबर में घरेलू तिलहन की फसल की आवक शुरू हो जायेगी इसलिए नवंबर से खाद्य तेलों की आयात में कमी आने का अनुमान है।
अगस्त में महंगे हुए आयातित खाद्य तेल
एसईए के अनुसार आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में जुलाई के मुकाबले अगस्त में तेजी भी आई है। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव औसतन 571 डॉलर प्रति हो गया जबकि जुलाई में इसका भाव 532 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव जुलाई के 490 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 534 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव इस दौरान 695 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 729 डॉलर प्रति टन हो गया। ........... आर एस राणा
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