आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने चने की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं। आईसीएआर के अनुसार यह किस्में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
आईसीएआर और कर्नाटक के रायचूर स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रापिक्स के साथ मिल कर जिनोम-हस्तक्षेप’ के माध्यम से पूसा चिकपी-10216 और सुपर एन्नीगेरी-1 किस्म के चने के बीज विकसित किए हैं। चने की इन किस्मों को आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसान बुआई कर सकते हैं।
पूसा चिकपी-10216 एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी के बुंदेलखंड के लिए उपयुक्त
आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूसा चिकपी-10216 सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी उपज दे सकती है। इसकी औसत पैदावार 1,447 किलो प्रति हेक्टेयर है। देश के मध्य के इलाकों नमी की कम उपलब्धता की स्थिति में यह पूसा-372 की तुलना में 11.9 फीसदी अधिक पैदावार देती है। यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके 100 बीजों का वजन लगभग 22.2 ग्राम होता है। इसमें फुसैरियम विल्ट, सूखी जड़ सड़न और स्टंट रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी क्षमता है। इसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त माना गया है।
सुपर एन्नीगेरी-1 आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के लिए उपयुक्त
उन्होंने बताया कि कि चने की दूसरी नई किस्म सुपर एन्नीगेरी-1, को आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में जारी करने के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसकी औसत उपज 1,898 किलो प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म 95 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। भारत ने दलहन उत्पादन में देर से आत्मनिर्भरता हासिल की है। सरकार की विभिन्न पहल के कारण दालों का उत्पादन, जुलाई में समाप्त हुए फसल वर्ष 2018-19 के दौरान 232.2 लाख टन तक होने का अनुमान है। .......... आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने चने की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं। आईसीएआर के अनुसार यह किस्में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
आईसीएआर और कर्नाटक के रायचूर स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रापिक्स के साथ मिल कर जिनोम-हस्तक्षेप’ के माध्यम से पूसा चिकपी-10216 और सुपर एन्नीगेरी-1 किस्म के चने के बीज विकसित किए हैं। चने की इन किस्मों को आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसान बुआई कर सकते हैं।
पूसा चिकपी-10216 एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी के बुंदेलखंड के लिए उपयुक्त
आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूसा चिकपी-10216 सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी उपज दे सकती है। इसकी औसत पैदावार 1,447 किलो प्रति हेक्टेयर है। देश के मध्य के इलाकों नमी की कम उपलब्धता की स्थिति में यह पूसा-372 की तुलना में 11.9 फीसदी अधिक पैदावार देती है। यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके 100 बीजों का वजन लगभग 22.2 ग्राम होता है। इसमें फुसैरियम विल्ट, सूखी जड़ सड़न और स्टंट रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी क्षमता है। इसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त माना गया है।
सुपर एन्नीगेरी-1 आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के लिए उपयुक्त
उन्होंने बताया कि कि चने की दूसरी नई किस्म सुपर एन्नीगेरी-1, को आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में जारी करने के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसकी औसत उपज 1,898 किलो प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म 95 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। भारत ने दलहन उत्पादन में देर से आत्मनिर्भरता हासिल की है। सरकार की विभिन्न पहल के कारण दालों का उत्पादन, जुलाई में समाप्त हुए फसल वर्ष 2018-19 के दौरान 232.2 लाख टन तक होने का अनुमान है। .......... आर एस राणा
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