आधे हिंदुस्तान पर आसमानी आफत बरस रही है। गुजरात में हो रही भारी बारिश
ने कोहराम मचा रखा है। चारों तरफ पानी ही पानी है। अहमदाबाद, बनासकांठा,
सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात में बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। पिछले एक
हफ्ते से लगातार हो रही बारिश ने गुजरात में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया
है। पूरे साल जिस बारिश के लिए किसान आस लगा कर बैठा रहता है वहीं बारिश
अब उसके लिए मुसीबत बन गई है। अच्छी फसल की उसकी उम्मीदें तिनके की तरह
पानी में बह रही हैं।
गुजरात में बारिश कहर बन कर टूटी है। जानमाल को भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक 130 लोगों के मरने की खबर है। अहमदाबाद शहर में लोगों को बचाने के लिए राहत और बचाव वाली बोट चलाई जा रही है। गुजरात का बनासकांठा जिला बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है। खेती वाली जमीनों पर भी पानी भर गया है जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बनासकांठा शहर में भी सड़कों-गलियों पर पानी भरा हुआ है। कई मंडियों में पानी भरने से कारोबार रुका हुआ है।
उत्तर सौराष्ट्र में एपीएमसी में पानी घुस जाने से व्यापारियों का काफी नुकसान उठान पड़ा है। आशंका है कि गुजरात में 72 लाख हेक्टेअर बुआई में केवल 5-6 लाख हेक्टेअर ही बचने की उम्मीद है। सौराष्ट्र, बनासकांठा, उत्तर गुजरात में इस सीजन में कपास, मूंगफली और ग्वार की बुआई होती है। कपास की बुआई तो कुछ इलाकों में फिर से की जा सकती है लेकिन मूंगफली और ग्वार की फसल पूरी तरह चौपट होने का खतरा है। इधर राज्य सरकार बारिश से होने वाले नुकसान के आकलन में जुटी है।
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट का कहना है कि अगले 2-3 दिनों में बारिश का कहर थमें और खेतों से जमा पानी बाहर निकल जाए तो कपास की बुआई फिर से संभव है। लेकिन मूंगफली और ग्वार के किसानों को कैस्टर की बुआई ही करनी पड़ेगी। नुकसान सिर्फ फसलों को नहीं हुआ है।
सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात की 25-30 मंडियों में पानी भरने से करोड़ों का स्टॉक भी खराब हो गया है। गोदामों में पड़े कैस्टर, बाजरा, गेहूं सड़ रहा है। इधर बेमौसम बारिश ने राजस्थान और महाराष्ट्र के किसानों पर भी आफत बन कर टूटी है।
गुजरात में बारिश कहर बन कर टूटी है। जानमाल को भी भारी नुकसान हुआ है। अभी तक 130 लोगों के मरने की खबर है। अहमदाबाद शहर में लोगों को बचाने के लिए राहत और बचाव वाली बोट चलाई जा रही है। गुजरात का बनासकांठा जिला बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है। खेती वाली जमीनों पर भी पानी भर गया है जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बनासकांठा शहर में भी सड़कों-गलियों पर पानी भरा हुआ है। कई मंडियों में पानी भरने से कारोबार रुका हुआ है।
उत्तर सौराष्ट्र में एपीएमसी में पानी घुस जाने से व्यापारियों का काफी नुकसान उठान पड़ा है। आशंका है कि गुजरात में 72 लाख हेक्टेअर बुआई में केवल 5-6 लाख हेक्टेअर ही बचने की उम्मीद है। सौराष्ट्र, बनासकांठा, उत्तर गुजरात में इस सीजन में कपास, मूंगफली और ग्वार की बुआई होती है। कपास की बुआई तो कुछ इलाकों में फिर से की जा सकती है लेकिन मूंगफली और ग्वार की फसल पूरी तरह चौपट होने का खतरा है। इधर राज्य सरकार बारिश से होने वाले नुकसान के आकलन में जुटी है।
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट का कहना है कि अगले 2-3 दिनों में बारिश का कहर थमें और खेतों से जमा पानी बाहर निकल जाए तो कपास की बुआई फिर से संभव है। लेकिन मूंगफली और ग्वार के किसानों को कैस्टर की बुआई ही करनी पड़ेगी। नुकसान सिर्फ फसलों को नहीं हुआ है।
सौराष्ट्र, उत्तर गुजरात की 25-30 मंडियों में पानी भरने से करोड़ों का स्टॉक भी खराब हो गया है। गोदामों में पड़े कैस्टर, बाजरा, गेहूं सड़ रहा है। इधर बेमौसम बारिश ने राजस्थान और महाराष्ट्र के किसानों पर भी आफत बन कर टूटी है।
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