आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग की है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) ने केंद्र सरकार ने आयातित क्रुड पॉम तेल पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 35 फीसदी और रिफांइड तेलों के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है।
एसईए के अनुसार खाद्य तेलों के आयात में हो रही बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में तिलहनों सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के भाव पिछले साल की तुलना में 20 से 30 फीसदी नीचे बने हुए हैं, तथा इनके भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे आ चुके हैं। यहीं कारण है कि चालू खरीफ में किसान तिलहन के बजाए अन्य नगदी फसलों की बुवाई तो तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में चालू खरीफ में तिलहनों की पैदावार कम होने की आशंका बन गई है।
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-16 से अक्टूबर-17 के पहले 8 महीनों नवंबर-16 से जून-17 के दौरान खाद्य तेलों का आयात 1 फीसदी बढ़कर 9,863,572 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनका आयात 9,763,043 टन का हुआ था। सूत्रों के अनुसार पिछले दो महीनों मई और जून में खाद्य तेलों के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमशः 35 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में जहां सोयाबीन की बुवाई घटकर अभी तक केवल 73.44 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 83.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 24.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.41 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
इस समय क्रुड पॉम तेल के आयात पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क है जबकि रिफाइंड तेलों के आयात पर 15 फीसदी आयात शुल्क है। एसई ने जहां क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क में 20 फीसदी और रिफाइंड तेलों के शुल्क में तत्काल प्रभाव से 35 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है।................ आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग ने केंद्र सरकार से खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग की है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) ने केंद्र सरकार ने आयातित क्रुड पॉम तेल पर आयात शुल्क को बढ़ाकर 35 फीसदी और रिफांइड तेलों के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है।
एसईए के अनुसार खाद्य तेलों के आयात में हो रही बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में तिलहनों सरसों, सोयाबीन और मूंगफली के भाव पिछले साल की तुलना में 20 से 30 फीसदी नीचे बने हुए हैं, तथा इनके भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे आ चुके हैं। यहीं कारण है कि चालू खरीफ में किसान तिलहन के बजाए अन्य नगदी फसलों की बुवाई तो तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में चालू खरीफ में तिलहनों की पैदावार कम होने की आशंका बन गई है।
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-16 से अक्टूबर-17 के पहले 8 महीनों नवंबर-16 से जून-17 के दौरान खाद्य तेलों का आयात 1 फीसदी बढ़कर 9,863,572 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनका आयात 9,763,043 टन का हुआ था। सूत्रों के अनुसार पिछले दो महीनों मई और जून में खाद्य तेलों के आयात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में क्रमशः 35 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में जहां सोयाबीन की बुवाई घटकर अभी तक केवल 73.44 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 83.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 24.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 26.41 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
इस समय क्रुड पॉम तेल के आयात पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क है जबकि रिफाइंड तेलों के आयात पर 15 फीसदी आयात शुल्क है। एसई ने जहां क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क में 20 फीसदी और रिफाइंड तेलों के शुल्क में तत्काल प्रभाव से 35 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है।................ आर एस राणा
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