पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने आज 2016 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के अपने पूर्वानुमान को घटाकर लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 100 फीसदी कर दिया। एलपीए की 100 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। यह उसके अप्रैल के पूर्वानुमान से कम है, जिसमें बारिश एलपीए की 105 फीसदी रहने की बात कही गई थी। दोनों ही पूर्वानुमानों में बारिश 4 फीसदी अधिक या कम रहने का मॉडल एरर माना गया है। स्काईमेट ने कहा कि अनुमान को इसलिए घटाया गया है क्योंकि अगस्त में बारिश अनुमान से कम रही है। अगस्त में बारिश एलपीए की करीब 92 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि पहले यह एलपीए की 108 फीसदी रहने का अनुमान था। अगस्त में लंबी अवधि का औसत करीब 261 मिलीमीटर बारिश है। हालांकि इससे खरीफ की फसलों पर कोई असर नहीं पडऩे के आसार हैं क्योंकि फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है और मिट्टी में नमी पर्याप्त है। स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने कहा, 'इस समय आईओडी नकारात्मक है और एमजेओ भारत के लिए अनुकूल नहीं बना हुआ है। आखिरकार अल नीनो तटस्थ चरण में आ गया है, लेकिन हमें यह देखने के लिए कुछ महीने इंतजार करना पड़ेगा कि क्या यह ला नीना में बदल सकता है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्काईमेट वेदर ने मॉनसून 2016 के पूर्वानुमान में संशोधन किया है।' वर्ष 2009 में सूखे के सटीक अनुमान के बाद स्काईमेट सुर्खियों में आई थी। 2009 का सूखा तीन दशकों में सबसे भयंकर था। हालांकि स्काईमेट का पिछले साल का पूर्वानुमान गलत साबित हुआ, जब उसने 'सामान्य' मॉनसून का अनुमान जताया था। देश को लगातार दूसरे साल सूखे का सामना करना पड़ा था। इस साल स्काईमेट ने अनुमान जताया था कि चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के दौरान बारिश एलपीए की 105 फीसदी के बराबर रहेगी। पूरे साल के एलपीए का मतलब देश में 1951 से 2001 के बीच हुई औसत बारिश से है और यह 887 मिलीमीटर अनुमानित है। स्काईमेट ने कहा कि जून में मॉनसून की शुरुआत सुस्त रही और इसने जुलाई में तेजी पकड़ी।
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