केंद्र सरकार ने एथेनॉल उत्पादन पर चीनी
मिलों को दी गई उत्पाद शुल्क छूट वापस ले ली है। चीनी की कीमतें सुधरने से
चीनी मिलों के पास नकदी आपूर्ति बढऩे के बाद सरकार ने यह फैसला किया है।
उत्पाद शुल्क में 12.5 प्रतिशत छूट से चीनी मिलों को एथेनॉल की पूर्व
निर्धारित कीमत 48.5-49.5 रुपये प्रति लीटर पर करीब 5 रुपये का फायदा होता
था। अब सरकार के इस फैसले से चीनी मिलें खुश नहीं हैं, क्योंकि इनका कहना
था कि इस तरह अचानक छूट वापस लेने से उनकी वित्तीय स्थिति पर बुरा असर
पड़ेगा। मिलों के अनुसार सत्र 2015-16 में उत्पादित एथेनॉल की ज्यादातर
मात्रा की आपूर्ति के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ अनुबंध छूट को ध्यान
में रखते हुए किया गया था। मिलों ने पिछले वर्ष तेल विपणन कंपनियों
(ओएमसी) को एथेनॉल को उनके डिपो पर 48.5-49.5 रुपये प्रति लीटर की दर से
बेचा जिनमें सभी कर और शुल्क भी शामिल थे। चीनी मिलों में यह कीमत 40-41
रुपये प्रति लीटर थी। उत्पाद शुल्क में छूट से सरकारी खजाने पर 200 करोड़
रुपये का बोझ पड़ा। इस छूट के हटने से कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर की
बढ़ोतरी होगी और अब एथेनॉल की वास्तविक कीमत मिलों में 45-46 रुपये होगी।
चीनी के संदर्भ में बात करें तो इससे चीनी की कीमत 30 रुपये प्रति किलो
पड़ती है। शुल्क वापस लिए जाने की औपचारिक वजह यह बताई जा रही है कि चीनी
मिलों में कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई है। कुल मिलाकर
2015-16 में चीनी मिलों ने 130 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन किया जो हाल
के वर्षों में सर्वाधिक है। यह पेट्रोल में 5 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के
केंद्र सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इनमें करीब 90
करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति चीनी मिलों ने पहले ही तेल विपणन कंपनियों को
कर दी थी। शेष 40 करोड़ लीटर पर चीनी मिलों को उत्पाद शुल्क केरूप में
प्रति लीटर 5 रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। यानी साफ है कि इससे इस
वित्त वर्ष के लिए चीनी मिलों का गणित प्रभावित होगा। इस बारे में चीनी
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'इतना ही नहीं अगले चीनी सत्र में चीनी मिलें
ओएमसी के साथ एथेनॉल आपूर्ति का कोई समझौता करने से दूर रह सकती हैं। इससे
पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की सरकार के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को झटका
लगेगा। (BS Hindi)
13 अगस्त 2016
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें