चावल की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं
आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में देष से चावल के निर्यात में 22.38 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 8.26 लाख टन का ही हुआ है जबकि जून महीने मंे इसका निर्यात 10.63 लाख टन का हुआ था। जानकारों के अनुसार बासमती चावल का सबसे ज्यादा निर्यात देष से खाड़ी देषों को होता है तथा पिछले दो महीने से बासमती चावल में खासकर के संयुक्त अरब अमीरात की मांग कम आई है।
जुलाई महीने में हुए चावल के निर्यात में जहां बासमती चावल की हिस्सेदारी 36.43 फीसदी रही, वहीं गैर-बासमती चावल की इस दौरान निर्यात में हिस्सेदारी 63.56 फीसदी की रही। जुलाई महीने में जहां 3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ, वहीं 5.25 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले महीनों अप्रैल से मई के दौरान देष से केवल 7.49 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.80 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। इसी तरह गैर-बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-मई में 10.57 लाख टन का हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में 10.95 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान देष से बासमती चावल के निर्यात में 8.59 फीसदी की गिरावट आकर कुल 6,197.83 करोड़ रुपये मूल्य का ही बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6,780.61 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। हालांकि गैर बासमती चावल का निर्यात इस इस दौरान मूल्य के हिसाब से 7.42 फीसदी बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात 4,255.13 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3,961.11 करोड़ रुपये का हुआ था।
हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा-1,121 बासमती चावल सेला का भाव 4,200 रुपये और स्टीम का 5,300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पूसा-1,121 बासमती धान का भाव 2,200 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है। बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल की कीमतों में घरेलू बाजार में अभी तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी चालू खरीफ में ज्यादा हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 281.95 लाख हैक्टेयर में धान की रौपाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 276.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।............आर एस राणा
आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने में देष से चावल के निर्यात में 22.38 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 8.26 लाख टन का ही हुआ है जबकि जून महीने मंे इसका निर्यात 10.63 लाख टन का हुआ था। जानकारों के अनुसार बासमती चावल का सबसे ज्यादा निर्यात देष से खाड़ी देषों को होता है तथा पिछले दो महीने से बासमती चावल में खासकर के संयुक्त अरब अमीरात की मांग कम आई है।
जुलाई महीने में हुए चावल के निर्यात में जहां बासमती चावल की हिस्सेदारी 36.43 फीसदी रही, वहीं गैर-बासमती चावल की इस दौरान निर्यात में हिस्सेदारी 63.56 फीसदी की रही। जुलाई महीने में जहां 3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ, वहीं 5.25 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले महीनों अप्रैल से मई के दौरान देष से केवल 7.49 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7.80 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। इसी तरह गैर-बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-मई में 10.57 लाख टन का हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में 10.95 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान देष से बासमती चावल के निर्यात में 8.59 फीसदी की गिरावट आकर कुल 6,197.83 करोड़ रुपये मूल्य का ही बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6,780.61 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। हालांकि गैर बासमती चावल का निर्यात इस इस दौरान मूल्य के हिसाब से 7.42 फीसदी बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात 4,255.13 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3,961.11 करोड़ रुपये का हुआ था।
हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा-1,121 बासमती चावल सेला का भाव 4,200 रुपये और स्टीम का 5,300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पूसा-1,121 बासमती धान का भाव 2,200 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है। बासमती के साथ ही गैर-बासमती चावल की कीमतों में घरेलू बाजार में अभी तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी चालू खरीफ में ज्यादा हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक 281.95 लाख हैक्टेयर में धान की रौपाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 276.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।............आर एस राणा
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