ग्वार की कीमतों में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाजिर और वायदा बाजार में ग्वार की कीमतें गिरकर करीब पांच साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं। ग्वार गम 7,000 रुपये और ग्वार सीड 3,400 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे फिसल गया। लगातार कमजोर विदेशी मांग और मंडियों में आ रही बेहतर आपूर्ति की वजह से कीमतों में आगे भी गिरावट फिलहाल थमने की संभावना नहीं है।
कमजोर निर्यात के कारण ग्वार का गम लगातार बढ़ता जा रहा है। वायदा में ग्वार गम की कीमतें गिर कर 7,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के नीचे पहुंच गईं। एनसीडीईएक्स पर ग्वार गम करीब 4 फीसदी की गिरावट के साथ 6,910 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गया। ग्वार सीड के दाम भी गिरकर 3,400 रुपये प्रति क्ंिवटल के करीब पहुंच गए। एनसीडीएक्स पर ग्वार सीड के सभी अनुबंधों पर चार फीसदी का लोअर सर्किट लग गया। दिसबंर अनुबंध गिरकर 3,408 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया। वायदा की गिरावट का असर हाजिर बाजार में भी देखने को मिला। हाजिर बाजार में ग्वार गम के दाम गिरकर 6,800 रुपये और ग्वार सीड का भाव लुढ़कर 3,400 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गया। सात हजार रुपये प्रति क्ंिवटल के नीचे ग्वार गम की कीमत 20 जनवरी 2011 को थी। इस दिन ग्वार गम के भाव 6,985 रुपये पर बंद हुए थे जबकि ग्वार सीड 3,365 रुपये प्रति क्विंटल हो गई थी।
बीकानेर उद्योग मंडल के प्रवक्ता पुखराज चोपड़ा कहते हैं कि इस समय औसतन हर दिन एक लाख बोरी ग्वार की आपूर्ति हो रही है जिसमें से क्रॉसिंग मिलें करीब 30 हजार बोरी खरीद कर रही है जबकि 70 हजार बोरी का हर दिन स्टॉक बाजार में जमा हो रहा है। जिसके कारण कीमतें गिर रही हैं। कीमतों में भारी गिरावट से किसान, कारोबारी और मिलर्स सभी की परेशानियां बढ़ गई हैं। विदेशी मांग न होने के कारण ग्वार मिलें बंद हो रही हैं और जो आंशिक रूप से चल रही हैं उनके पास ग्वार गम का स्टॉक बढ़ रहा है जिससे मिलर घाटे में जा रहे हैं। किसान अपना माल मंडियों में लेकर आ रहे हैं लेकिन उनको सही दाम नहीं मिल रहा है जिससे ग्वार घाटे का सौदा हो रहा है।
चोपड़ा कहते हैं कि ग्वार सीड और गम की कीमतों में औसत तीन का रेश्यो चलता है क्योंकि एक क्ंिवटल सीड से करीब 30 किलो गम निकलता है जबकि इस समय ग्वार सीड और ग्वार के भाव का रेश्यो घटकर 2.1 रह गया है जो घाटे की वजह बन रही है। वह कहते हैं कि स्थिति भयानक हो चुकी है इस पर ध्यान देना होगा क्योंकि किसान और कारोबारी सब परेशान हैं।
ग्वार गम और दूसरे ग्वार उत्पादों के निर्यात में भारी गिरावट की वजह कमजोर मांग बताई जा रही है। कारोबारियों का कहना है भारत से सबसे ज्यादा ग्वार का निर्यात अमेरिका को होता था लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण अमेरिका और दूसरे तेल उत्पादक देशों ने अपने यहां तेल उत्पादन कम कर दिया। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ग्वार उत्पादों के निर्यात में 52 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। ग्वार और उसके उत्पादों के निर्यात संबंधित प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से सितंबर के दौरान सिर्फ 1.62 लाख टन ग्वार और उसके उत्पादों का निर्यात हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2014-15 की पहली छमाही के दौरान 3.39 लाख टन ग्वार उत्पादों का निर्यात हुआ था। (BS Hindi)
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