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04 नवंबर 2015

आयातित दालों के भंडारण में छूट


महाराष्ट्र सरकार ने आयातित दालों को भंडारण सीमा से छूट देने का निर्णय किया है। सोमवार देर रात जारी अधिसूचना के मुताबिक आयातकों को दालों की भंडारण सीमा में तो छूट दी गई लेकिन जब वह आयातित दालों को थोक विक्रेता को बेचेंगे तो वहां भंडारण सीमा लागू होगी। पहले खबर आई थी कि एक तय समयसीमा में आयातकों को दालें बेचनी होंगी, लेकिन अधिसूचना में समयसीमा का उल्लेख नहीं है।
इंडिया पल्सेस ऐंड ग्रेन्स मर्चेंट्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के वाइस-चेयरमैन और पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक विमल कोठारी ने कहा, 'थोक बाजार में दालों की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है और जल्द ही इसका असर खुदरा बाजार में भी दिखेगा।' भंडारण सीमा लगाए जाने के करीब 15 दिनों के अंदर थोक बाजार में दालों की कीमतों में औसतन 10 से 20 फीसदी की गिरावट आई है लेकिन खुदरा में कीमतें नहीं घटी हैं।
हालांकि कोठारी ने कहा, 'मुंबई बंदरगाह पर करीब 3 लाख टन आयातित दालें पड़ी हैं, जो अगले कुछ दिनों में बाजार में आ जाएंगी। उसके बाद खुदरा कीमतों में भी कमी आनी शुरू हो जाएगी। दीवाली तक 2 लाख टन दाल का आयात और किया जाएगा।' 5 लाख टन में से ज्यादातर पीली मटर और मसूर की दाल हैं। इसलिए अरहर और उड़द की किल्लत अभी कुछ महीनों तक बनी रह सकती है और जनवरी-फरवरी में नई फसल के आने पर ही किल्लत दूर हो पाएगी। वैश्विक बाजारों में भी अरहर और उड़द की कमी के कारण इसकी कीमतों में तेजी आई है। कोठारी ने कहा, 'भारतीय आयातकों को इस साल दिसंबर तक 25 लाख टन दालों की आपूर्ति होनी हैं, जिनमें सभी तरह की दालें शामिल हैं।'
आईपीजीए के एक अधिकारी के मुताबिक भारत में इस साल 55 लाख टन दालों के आयात होने का अनुमान है, जबकि उत्पादन 1.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है। ऐसे में 60 से 70 लाख टन दालों की कमी बनी रहेगी। सितंबर से ही दालों, खासकर अरहर और उड़द की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। खबरों में कहा गया है कि प्रतिकूल मौसम के कारण भारत में फसल को नुकसान हुआ था, जबकि म्यांमार में बाढ़ के कारण अरहर और उड़द की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर इसकी कमी बनी हुई है।
म्यांमार पल्सेस, बीन्स ऐंड सीसम सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन ने आगाह किया है कि धान की फसल अब तक खेतों में खड़ी है और अगले सीजन के लिए दलहन की बुआई शुरू नहीं हो पाई है। एडलवाइस कमोडिटी रिसर्च ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर अरहर का उत्पादन 2015 में 38 से 40 लाख टन रहा, जिनमें भारत में 19 लाख टन अरहर की पैदावार हुई। उससे पिछले साल देश में 28 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। भारत में अरहर की नई फसल की कटाई जनवरी 2016 से शुरू होगी। हालांकि नई फसल भी खपत के मुकाबले काफी कम रहेगी। (BS Hindi)

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