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17 नवंबर 2015

त्यौहारी मांग से भी नहीं बढ़ रहे हैं गुड़ के भाव


चालू सीजन में 10 लाख कट्टों से भी कम स्टॉक होने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। त्यौहारी मांग से भी गुड़ में मिठास नहीं बढ़ रही है। उत्तर प्रदेष में चीनी मिलों में पेराई में हो रही देरी के कारण किसानों को गन्ने की बिक्री सस्ते दाम पर करनी पड़ रही है जिसका फायदा खांडसारी उद्योग और कोल्हू संचालक उठा रहे हैं। गुड़ कारोबारियों को पिछले चार-पांच साल से लगातार घाटा हो रहा है इसलिए प्रमुख गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर में नए सीजन में गुड़ का स्टॉक 10 लाख कट्टे (एक कट्टा-40 किलो) से कम ही होने का अनुमान है।
गुड़ फैडरेषन आफ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि राज्य में चीनी मिलों में गन्ने की पेराई में देरी के कारण कोल्हू संचालकों को गन्ना सस्ता मिल रहा है, यहीं कारण है कि त्यौहारी सीजन के बावजूद गुड़ की कीमतों में तेजी नहीं आ पा रही है। कोल्हू और खांडसारी संचालक गन्ने की खरीद 150 से 180 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही हैं जबकि पिछले साल गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) 280 रुपये प्रति क्विंटल था। नए सीजन के लिए अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का एसएपी ही तय नहीं किया है।
उन्होंने बताया कि इस समय मंडी में गुड़ की दैनिक आवक 6,000 से 7,000 मन की हो रही है तथा इसमें से ज्यादातर गुड़ चालानी में ही जा रहा है। मंडी में खुरप्पापाड़ गुड़ के भाव 930 से 960 रुपये, लड्डू के भाव 965 से 1,045 रुपये, चाकू के भाव 930 से 1,020 रुपये, षक्कर पाउडर के भाव 1,030 से 1,060 रुपये और रसकट के भाव 940 रुपये प्रति 40 किलो हैं।
गुड़ के थोक कारोबारी देषराज ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों से गुड़ कारोबारियों को घाटा उठाना पड़ रहा है इसीलिए नए सीजन में गुड़ का स्टॉक 10 लाख कट्टों से भी कम होने की आषंका है। पिछले साल मंडी में गुड़ का स्टॉक 10 लाख कट्टे का हुआ था जबकि सबसे ज्यादा स्टॉक पांच साल पहले 26 लाख कट्टों का हुआ था।
उन्होंने बताया कि अभी तो सारा गुड़ चालानी में जा रहा है लेकिन दिसंबर में गुड़ स्टॉक में जाना षुरु होगा। उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य की चीनी मिलों में पेराई आरंभ नहीं हुई है तथा इसमें और देरी होगी तो कोल्हू संचालकों को ज्यादा गन्ना मिलेगा। वैसे भी चालू फसल सीजन में उत्तर प्रदेष में गन्ने की पैदावार पिछले साल की तुलना में ज्यादा ही होने का अनुमान है।.................आर एस राणा

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