करीब एक साल के अंतराल के बाद ईरान के भारत से बासमती चावल के आयात के लिए नए लाइसेंस अगले दो महीने में जारी करने की संभावना है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के कार्यकारी निदेशक राजन सुंदरेशन ने कहा, 'हमें ईरान के आयातकों से संकेत मिले हैं कि वे दिसंबर या जनवरी से नए लाइसेंस जारी कर सकते हैं।'
ईरान ने कीटनाशकों के ज्यादा अंश और उत्पादन में आत्मनिर्भरता की बात कहते हुए अक्टूबर 2014 से बासमती चावल के आयात के लिए नई लाइसेंस जारी करना बंद कर दिया था। बासमती चावल हमेशा से भारत के कृषि जिंस निर्यात में शीर्ष पर रहा है और ईरान इस जिंस का सबसे बड़ा खरीदार रहा है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के मुताबिक भारत से बासमती चावल की खरीद में ईरान की अनिच्छा के कारण इस जिंस का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वर्ष 2014-15 में भारत ने ईरान को 9.3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि वर्ष 2013-14 में निर्यात 14 लाख टन रहा था। ईरान को बासमती चावल के निर्यात से वर्ष 2014-15 में 6,759 करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जो वर्ष 2013-14 में 10,976 करोड़ रुपये थी। इससे निर्यात में करीब 60 फीसदी गिरावट का पता चलता है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2015 में ईरान को भारत का बासमती चावल का निर्यात करीब 42 फीसदी घटकर 192 करोड़ रुपये रहा, जो अगस्त 2014 में 335 करोड़ रुपये था। मात्रात्मक लिहाज से निर्यात करीब 23 फीसदी घटकर अगस्त 2015 में 33,554 टन रहा है, जो अगस्त 2014 में 44,022 टन था। वैश्विक खाद्य बाजार पर खाद्य एवं कृषि संगठन की छमाही रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015-16 में ईरान का कुल खाद्यान्न आयात 147 लाख टन रहने का अनुमान है, जो वर्ष 2014-15 में 150 लाख टन था।
वर्ष 2014-15 में ईरान को भारत के कुल निर्यात की कीमत 417.5 करोड़ डॉलर रही, जो इससे पिछले साल से 16 फीसदी कम है। ईरान को भारत के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात में बासमती चावल का हिस्सा करीब 80 फीसदी है। दो साल पहले औसत मासिक निर्यात करीब 1 लाख टन था, लेकिन ईरान को बासमती चावल का वर्तमान निर्यात 70,000 टन प्रतिमाह से अधिक नहीं है। (BS Hindi)
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