आर एस राणा
नई दिल्ली। चालूू रबी में जौ के किसानों पर दोहरी मार पड़ रहीं है। पहले तो प्रतिकूल मौसम ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया, अब किसानों को जौ की बिकवाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे भाव पर करनी पड़ रही है। चालू रबी विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने जौ का एमएसपी 1,150 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में जौ के भाव 960 से 1,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
जौ के थोक कारोबारी सीताराम ने बताया कि माल्ट कंपनियों की खरीद सीमित मात्रा में हो रही है जबकि मौसम साफ होने से उत्पादक मंडियों में जौ की दैनिक आवक बढने लगी है। इसीलिए जौ के भाव उम्पादक मंडियों में एमएसपी भी नीचे बने हुए हैं। राजस्थान की मंडियों में जौ के भाव 960 से 1,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि हरियाणा की मंडियों में जौ के भाव 980 से 1,125 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में जौ की पैदावार ज्यादा होने का अनुुमान है इसलिए माल्ट कंपनियां अभी इंतजार कर रही है। राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में जौ की दैनिक आवक बढ़कर चार से पांच लाख बोरी (एक बोरी-80 किलो) हो गई है।
जौ के व्यापारी राजीव बंसल ने बताया कि माल्ट कंपनियां गुड़गाव पहुंच 1,225 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सौदे कर रही है लेकिन मांग काफी कम है। उन्होंने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से निर्यातकों ने भी बंदरगाह पहुंच 1,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कुछ सौदे किए है। ऐसे में आगाामी दिनों में माल्ट कंपनियों के साथ ही निर्यात की मांग बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि ज्यादा पैदावार होने की आषंका के कारण स्टॉकिस्ट भी अभी खरीद से परहेज कर रहे हैं लेकिन जैसे ही माल्ट कंपनियों की खरीद षुरू होगी, स्टॉकिस्टों भी खरीद षुरू करेगा।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में जौ की पैदावार 17.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2013-14 में 18.3 लाख टन जौ की पैदावार हुई थी।......आर एस राणा
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