अब से करीब एक महीने पहले तक असम में एक छोटे चाय बागान के मालिक विद्यानंद बड़काकोटि कमजोर बारिश, उत्पादन और मांग को लेकर चिंतित थे। लेकिन हाल में केन्या में सूखे के दौर से उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई है। बर्काकोटी को उम्मीद है कि विश्व के शीर्ष चाय निर्यातक केन्या में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले सूखे से उन जैसे भारतीय प्लांटरों के लिए असवर पैदा होंगे, क्योंकि घरेलू स्तर पर बारिश से उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है। उद्योग के सूत्रों ने अनुमान जताया है कि विश्व के दूसरे सबसे बड़े चाय उत्पादक भारत से इस साल चाय का निर्यात करीब 10 फीसदी बढ़ेगा।
बड़काकोटि ने कहा, 'केन्या में उत्पादन घटने से वहां कीमतें बढ़ रही हैं और आने वाले महीनों में भारतीय बाजार में भी दाम बढऩे लगेंगे।' केन्या से आपूर्ति कम होने से कीमतें बढ़ेंगी और इससे निर्यात आमदनी में इजाफा होने की उम्मीद है। इससे मैकलॉयड रसेल, जय श्री टी ऐंड इंडस्ट्रीज और हैरिसन मलयालम जैसी भारतीय चाय कंपनियों के शेयरों की कीमतों में तेजी आई है। इस महीने इन कंपनियों के शेयरों की कीमत 10 से 14 फीसदी तक बढ़ी है।
मैकलॉयड रसेल के मुख्य वित्त अधिकारी कमल बहेटी ने उम्मीद जताई कि वर्ष 2015 में भारत की विदेशी चाय बिक्री 1.5 से 2 करोड़ किलोग्राम बढ़ेगी, क्योंकि सूखे मौसम से केन्या में उत्पादन वर्ष 2014 के 44.48 करोड़ किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गया है। बहेटी ने कहा, 'इस साल हम निर्यात में आई कमी को फिर हासिल कर लेंगे।' पिछले साल देश का चाय निर्यात 8.2 फीसदी गिरकर 20.1 करोड़ किलोग्राम रहा था। उन्होंने कहा, 'इस साल केन्या में फसल पर सूखे का असर पड़ा है, जिससे वैश्विक और घरेलू कीमतों में इजाफा होगा।' बाहेती ने कहा कि इस पूर्वी अफ्रीकी देश (केन्या) में प्रसंस्करण फैक्टरियों को हर सप्ताह सप्ताह बागानों से आपूर्ति घट रही है। इसे देखते हुए भारत के स्थानीय नीलामी केंद्रों में चाय की कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में चाय की औसत कीमत पिछले साल से ज्यादा रहने की संभावना है। हालांकि भारत से चाय के ज्यादा निर्यात की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है। लेकिन उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अब मई महीने पर नजर है, क्योंकि यही महीना विदेशी मांग के बारे में ज्यादा पुख्ता संकेत देगा।
कोलकाता की एक उत्पादक एवं निर्यातक कंपनी लिमटेक्स इंडिया के चेयरमैन गोपाल पोद्दार ने कहा, 'मई के मध्य से निर्यात ऑर्डरों में बढ़ोतरी की संभावना है। तब तक केन्या और भारत में उत्पादन को लेकर स्थिति और ज्यादा स्पष्ट हो जाएगी।' भारत सीटीसी चाय का निर्यात मुख्य रूप से मिस्र, पाकिस्तान और ब्रिटेन को करता है, जबकि परंपरागत चाय का निर्यात इराक, ईरान और रूस को किया जाता है। भारतीय चाय संघ के एक अधिकारी ने कहा कि सबसे बड़े उत्पादक राज्य असम में सूखे मौसम से प्लांटर इस बार भी कम उत्पादन के आसार जता रहे हैं। (BS Hindi)
बड़काकोटि ने कहा, 'केन्या में उत्पादन घटने से वहां कीमतें बढ़ रही हैं और आने वाले महीनों में भारतीय बाजार में भी दाम बढऩे लगेंगे।' केन्या से आपूर्ति कम होने से कीमतें बढ़ेंगी और इससे निर्यात आमदनी में इजाफा होने की उम्मीद है। इससे मैकलॉयड रसेल, जय श्री टी ऐंड इंडस्ट्रीज और हैरिसन मलयालम जैसी भारतीय चाय कंपनियों के शेयरों की कीमतों में तेजी आई है। इस महीने इन कंपनियों के शेयरों की कीमत 10 से 14 फीसदी तक बढ़ी है।
मैकलॉयड रसेल के मुख्य वित्त अधिकारी कमल बहेटी ने उम्मीद जताई कि वर्ष 2015 में भारत की विदेशी चाय बिक्री 1.5 से 2 करोड़ किलोग्राम बढ़ेगी, क्योंकि सूखे मौसम से केन्या में उत्पादन वर्ष 2014 के 44.48 करोड़ किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर से नीचे आ गया है। बहेटी ने कहा, 'इस साल हम निर्यात में आई कमी को फिर हासिल कर लेंगे।' पिछले साल देश का चाय निर्यात 8.2 फीसदी गिरकर 20.1 करोड़ किलोग्राम रहा था। उन्होंने कहा, 'इस साल केन्या में फसल पर सूखे का असर पड़ा है, जिससे वैश्विक और घरेलू कीमतों में इजाफा होगा।' बाहेती ने कहा कि इस पूर्वी अफ्रीकी देश (केन्या) में प्रसंस्करण फैक्टरियों को हर सप्ताह सप्ताह बागानों से आपूर्ति घट रही है। इसे देखते हुए भारत के स्थानीय नीलामी केंद्रों में चाय की कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में चाय की औसत कीमत पिछले साल से ज्यादा रहने की संभावना है। हालांकि भारत से चाय के ज्यादा निर्यात की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है। लेकिन उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अब मई महीने पर नजर है, क्योंकि यही महीना विदेशी मांग के बारे में ज्यादा पुख्ता संकेत देगा।
कोलकाता की एक उत्पादक एवं निर्यातक कंपनी लिमटेक्स इंडिया के चेयरमैन गोपाल पोद्दार ने कहा, 'मई के मध्य से निर्यात ऑर्डरों में बढ़ोतरी की संभावना है। तब तक केन्या और भारत में उत्पादन को लेकर स्थिति और ज्यादा स्पष्ट हो जाएगी।' भारत सीटीसी चाय का निर्यात मुख्य रूप से मिस्र, पाकिस्तान और ब्रिटेन को करता है, जबकि परंपरागत चाय का निर्यात इराक, ईरान और रूस को किया जाता है। भारतीय चाय संघ के एक अधिकारी ने कहा कि सबसे बड़े उत्पादक राज्य असम में सूखे मौसम से प्लांटर इस बार भी कम उत्पादन के आसार जता रहे हैं। (BS Hindi)
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