वाणिज्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी नई विदेश व्यापार नीति में
टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसी तरह के कदम नहीं उठाए जाने
से टेक्सटाइल उद्योग खुश नजर नहीं आ रहा है। कॉटन टेक्सटाइल्स निर्यात
संवद्र्घन परिषद (टेक्सप्रोसिल) के चेयरमैन आर के डालमिया ने कहा, 'सरकार
ने टेक्सटाइल और कपड़ा क्षेत्र को नजरअंदाज कर दिया, जबकि देश में रोजगार
मुहैया कराने के मामले में यह दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। सरकार ने आर्थिक
समीक्षा में भी देश के विकास में इस क्षेत्र के योगदान को सराहा है।
विनिर्माण केंद्र को मजबूती देने, निर्यात को प्रोत्साहित करने और रोजगार
सृजन को देखते हुए इस क्षेत्र को व्यापार नीति में खास तवज्जो नहीं दी
गई।' बेहद प्रतिस्पर्धी टेक्सटाइल उद्योग जब उच्च शुल्क के तहत तरजीही
शुल्क समझौतों की अड़चनों का सामना कर रहा था, उस समय कॉटन टेक्सटाइल
उत्पादों को केवल 2 फीसदी की शुल्क छूट दी गई थी लेकिन हथकरघा, कालीन, कॉयर
उत्पादों को एमईआईएस के तहत ज्यादा राहत दी गई थी। सूती धागे के निर्यात
में जब तेजी से गिरावट आ रही थी तब भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन
हथकरघा और कॉयर उत्पादों को समुचित मदद दिए बिना सरकार के लिए उच्च निर्यात
लक्ष्य हासिल करना कठिन होगा।
विदेश व्यापार नीति में ब्याज दरों में रियायत के विस्तार पर विचार नहीं किया गया, जबकि उच्च पूंजी लागत की भरपाई के लिए ऐसा जरूरी था। धागे, कपड़े आदि क्षेत्रों में विकास के अवसर का लाभ उठाने के लिए निर्यात शुल्क में कमी की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के महासचिव डी के नायर ने कहा, 'टेक्सटाइल क्षेत्र को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया गया। हालांकि कारोबार को सुगम बनाने की घोषणा से इस उद्योग को थोड़ा फायदा होगा।' भारत से वस्तुओं के निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत मानव निर्मित फाइबर के धागे, ऊनी फैब्रिक और निटेड फैब्रिक को आमतौर पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान निर्यात करने पर 2 फीसदी प्रोत्साहन मिलता है लेकिन चीन, बांग्लादेश, तुर्की, वियतनाम, दक्षिण कोरिया आदि देशों के लिए यह सुविधा नहीं है। वैसे, परिधानों पर 2 फीसदी का प्रोत्साहन दिया जाता है। इन प्रोत्साहनों को सेवा कर, उत्पाद और सीमा शुल्क में छूट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और यह हस्तांतरणीय होगा। (BS Hindi)
विदेश व्यापार नीति में ब्याज दरों में रियायत के विस्तार पर विचार नहीं किया गया, जबकि उच्च पूंजी लागत की भरपाई के लिए ऐसा जरूरी था। धागे, कपड़े आदि क्षेत्रों में विकास के अवसर का लाभ उठाने के लिए निर्यात शुल्क में कमी की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के महासचिव डी के नायर ने कहा, 'टेक्सटाइल क्षेत्र को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया गया। हालांकि कारोबार को सुगम बनाने की घोषणा से इस उद्योग को थोड़ा फायदा होगा।' भारत से वस्तुओं के निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत मानव निर्मित फाइबर के धागे, ऊनी फैब्रिक और निटेड फैब्रिक को आमतौर पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान निर्यात करने पर 2 फीसदी प्रोत्साहन मिलता है लेकिन चीन, बांग्लादेश, तुर्की, वियतनाम, दक्षिण कोरिया आदि देशों के लिए यह सुविधा नहीं है। वैसे, परिधानों पर 2 फीसदी का प्रोत्साहन दिया जाता है। इन प्रोत्साहनों को सेवा कर, उत्पाद और सीमा शुल्क में छूट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और यह हस्तांतरणीय होगा। (BS Hindi)
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