नई दिल्ली। गन्ना किसानों के 2,1000 करोड़ रुपये बकाया बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को राहत दी है। केंद्र सरकार ने चीनी के आयात शुल्क को 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है। इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार आने की संभावना है।
कैबिनेट कमेटी की बैठक में सरकार ने रॉ-शुगर के एक्सपोर्ट ऑब्लिगेशन की मियाद को भी 18 महीने से घटाकर 6 महीने कर दिया है। चीनी मिलों रॉ-शुगर को आयात कर, उसे व्हाईट चीनी में तबदील कर 18 महीने में निर्यात कर सकती थी लेकिन अब इसकी अवधि को घटाकर 6 महीने कर देने से रॉ-शुगर के आयात में कमी आयेगी। चीनी मिलों को अब रॉ-शुगर आयात कर उसे 6 महीने के भीतर ही निर्यात करना होगा।
कैबिनेट कमेटी ने पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिलाने पर एक्साइज डयूटी को भी समाप्त कर कर दिया है इसके साथ ही अगले पेराई सीजन में शीरे से एथनॉल बनाने पर भी केंद्र सरकार ने एक्साइज डयूटी को समाप्त कर दिया है। पेट्रोल में एथनॉल मिलने पर 12.36 फीसदी की दर से एक्साइज डयूटी लग रही थी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को राहत देने के लिए जो कदम उठाए हैं, उद्योग उनका स्वागत करता है। सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क को 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है इससे आयात पड़ते नहीं लगेंगे। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार 30 लाख टन चीनी का बफ्र स्टॉक बनाती तो उद्योग को ओर ज्यादा राहत मिलती।
दिल्ली में चीनी के भाव 2,750 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 2,550 से 2,650 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि महाराष्ट्र में चीनी के भाव 2,350 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चालू पेराई सीजन में 270 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि अभी तक 263 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
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