गेहूं का उत्पादन सरकारी अनुमान से 20 फीसदी घटने की आषंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में बेमौसम बारिष और ओलावृश्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इससे प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में तो भारी गिरावट आई ही है, साथ ही गेहूं की क्वालिटी भी प्रभावित हुई है। इसलिए चालू सीजन में बढ़िया क्वालिटी के गेहूं की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। कृशि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू रबी में 957.6 लाख टन गेहूं की पैदावार होने का अनुमान है जबकि जानकारों का मानना है कि गेहूं की पैदावार में करीब 20 फीसदी तक कमी आयेगी।
गेहूं अनुसंधान निदेषालय के एक वरिश्ठ अधिकारी ने बताया कि मार्च-अप्रैल महीने में हुई बेमौसम बारिष से गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। इससे क्वालिटी तो प्रभावित हुई ही है साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में भी भारी कमी आई है। उन्होंने बताया कि चालू रबी में गेहूं का उत्पादन सकरारी अनुमान से करीब 18 से 20 फीसदी कम रहने की आषंका है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद षुरू कर दी है। सरकारी एजेंसियों ने अभी तक 19.06 लाख टन गेहूं की खरीद की है जोकि पिछले साल की समान अवधि में 20.52 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
श्री बालाजी फूड प्रोडेक्टस लिमिटेड के प्रबंधक संदीप गुप्ता ने बताया कि मंडियों में बारिष से भीगे हुए गेहूं की आवक ज्यादा मात्रा में हो रही है। इसलिए अभी तक रोलर फ्लोर मिलों और बड़ी कंपनियों ने खरीद षुरू नहीं की है। आईटीसी ने थोड़ी-बहुत खरीद चालू की है। उम्मीद है कि चालू महीने के आखिर तक फ्लोर मिलों के साथ ही बड़ी कंपनियों की खरीद भी षुरू हो जायेगी, जिससे बढ़िया क्वालिटी के गेहूं की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। लारेंस रोड़ पर गेहूं के भाव घटकर 1,480-1,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि राजस्थान से आईटीसी ने 1,510 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की।
विष्व बाजार में गेहूं के दाम नीचे होने के कारण नए रबी सीजन में गेहूं के निर्यात की संभावना कम है। विष्व बाजार में गेहूं के भाव 232 से 265 डॉलर प्रति टन हैं जबकि मई-जून में रूस और यूक्रेन की नई फसल की आवक का दबाव बनेगा, जिससे विष्व बाजार में गेहूं की कीमतों में और भी 15 से 20 डॉलर प्रति टन की गिरावट आने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 1,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इसमें परिवहन लागत और अन्य खर्च जोड़ने के बाद बंदरगाह पहुंच भाव 1,700 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा बैठता है, इसलिए निर्यात पड़ते लगने की संभावना नहीं है।.....आर एस राणा
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