09 जुलाई 2013
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर सोनिया गांधी ने बुलाई बैठक
कांग्रेस द्वारा खाद्य सुरक्षा विधेयक को पासा पलटने वाली पहल के रूप में पेश किये जाने के बीच सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की 13 जुलाई को बैठक बुलाई है, जिसमें इसे लागू करने के मुद्दे पर विचार विमर्श होगा।
सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को लाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाया है जो इस बात का संकेत है कि पार्टी खाद्य सुरक्षा योजना के प्रचार प्रसार की सारी रकावटों को दूर करने की इच्छुक है। अध्यादेश द्वारा लागू खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 82 करोड़ लोगों को सस्ता खाद्यान्न प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।
इस वर्ष जनवरी में जयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस नेताओं का यह पहला बड़ा जमघट होगा। वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना और खाद्य सुरक्षा कानून को कांग्रेस की वैसी ही महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है जैसा कि संप्रग-1 शासन के दौरान किसानों की ऋण माफी योजना और मनरेगा कार्यक्रम थे। ऋण माफी और मनरेगा को वर्ष 2009 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में लगातार दूसरी बार लौटने का प्रमुख कारण माना जाता है।
खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने कल कांग्रेस महासचिव अजय माकन और पाटी के प्रवक्ताओं को महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तत ब्यौरा दिया। माकन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूचना विभाग के प्रमुख हैं। कांग्रेस शासित दिल्ली, जहां इस वर्ष के उत्तरार्ध में विधानसभा चुनाव होने हैं, खाद्य सुरक्षा योजना को लागू करने वाला पहला राज्य बनने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कल कहा था कि इस कार्यक्रम को 20 अगस्त को शुर किया जायेगा जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म दिवस है। पार्टी के नेताओं ने लोकसभा के चुनावी संघर्ष के लिए खाद्य सुरक्षा को पासा पलटने वाली पहल के रूप में सराहा है।
ऐसी खबर है कि कांग्रेस शासित कर्नाटक, भाजपा नीत छत्तीसगढ़, सपा नीत उत्तर प्रदेश और जद-यू नीत बिहार सहित कई राज्य जल्द ही इस योजना को शुरू कर सकते हैं। यह विधेयक कांग्रेस अध्यक्ष एवं संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी की पसंदीदा परियोजना है।
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