24 जुलाई 2013
प्याज समेत कृषि उत्पादों का निर्यात जारी रहेगा: पवार
प्याज की कीमतों में उछाल के बीच कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को कहा कि वह इसके निर्यात के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे विश्व बाजार में कृषि उत्पादों के निर्यातक बाजार में भारत की साख गिरेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि प्याज की तेजी थोड़े अस्थायी है। महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में भारी बारिश के कारण आपूर्ति बाधित हुई है। पवार डेयरी क्षेत्र पर सीआईआई द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान संवाददाताओं से अलग से कहा कि किसी कृषि उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध उचित नहीं है। भारत ने अब वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों के एक प्रमुख निर्यातक के तौर पर अपने-आपको स्थापित कर लिया है। यदि हम निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हैं तो यह छवि प्रभावित होगी। इसलिए हम प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध कि खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा कि देश का कृषि निर्यात वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान बढ़कर 2.33 लाख करोड़ रुपए हो गया जो इससे पिछले साल 1.86 लाख करोड़ रुपए था। सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय कुछ समय के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध पर विचार कर रहे हैं, ताकि देश में प्याज की कीमत कम की जा सके और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान किया जा सके जो पहले ही मंहगाई के बोझ तले दबे हैं। यह पूछने पर कि प्याज की कीमत कब कम होगी, पवार ने कहा यह तेजी थोड़े समय की है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से आपूर्ति प्रभावित हुई है। बारिश से फसल, परिवहन और लाजिस्टिक्स प्रभावित हुआ है। प्याज की खुदरा कीमत दिल्ली और देश के मुख्य भागों में बढ़कर 35-40 रपए प्रति किलो हो गई है, जबकि एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का थोकमूल्य 25 रपए प्रति किलो हो गया है। प्याज की कीमत पर नयी फसल के आने से पहले अक्टूबर तक दबाव रहने की आंशका है। आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 776.47 करोड़ रुपए मूल्य का 5,11,616 टन प्याज का निर्यात किया था। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5,17,274 टन था। हालांकि इस साल उत्पादन करीब 1.5-1.6 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। तमिलनाडु जैसे राज्यों में फसल कम होने के कारण महाराष्ट्र पर दबाव पड़ा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों प्याज समेत सब्जियों की आसमान छूती कीमतों को लेकर उपभोक्ता परेशान रहे हैं। प्याज की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताते हुये दिल्ली सरकार ने भी जमाखोरों के खिलाफ छापा मारने का फैसला किया था और खुदरा विक्रेताओं से कहा था कि सब्जियों को उचित दर पर बेचे। दिल्ली सरकार ने कहा था कि शहर में प्याज की आपूर्ति में कोई कमी नहीं है जबकि खुदरा बाजार में कीमतें बढ़कर 40 रुपये प्रतिकिलो हो गई हैं जो एक महीने पहले 20 रुपये प्रतिकिलो थी। व्यापारियों ने कहा था कि महाराष्ट्र में कम आपूर्ति के कारण थोक बिक्री बाजार में कीमतें पिछले ढाई साल में सबसे अधिक हो गई हैं, इसी वजह से यहां भी कीमतें बढ़ रही हैं। इससे पहले उत्तराखंड में त्रासदी, हिमाचल में भारी वर्षा और यमुना नदी में आई बाढ़ से टमाटर की फसल को हुए भारी नुकसान की वजह से इसके दाम खुले बाजार में भड़क कर 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। प्याज भी पिछले एक पखवाडे के दौरान सुर्ख होकर 50 प्रतिशत तक महंगी हो गई थी। (Hindi Hindustan)
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