27 जुलाई 2013
बेहतर बुआई से कपास कीमतों में नरमी
बेहतर मॉनसून से कपास बुआई के आंकड़े रिकॉर्ड बनाने की राह में हैं। बुआई के बेहतर आंकड़ों से वायादा बाजार में कपास की कीमतें दबाव में दिख रही हैं लेकिन निर्यात मांग अच्छी होने की उम्मीद कपास की कीमतों को मजबूती दे सकती है। पिछले एक महीने में हाजिर बाजार में कपास की कीमतें सात फीसदी बढ़ चुकी हैं हालांकि भविष्य की कीमतों का सूचक माने जाने वाले वायदा और वैश्विक बाजार में कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है। बाजार जानकारों की मानी जाए तो किसानों का माल खत्म हो चुका है और नई फसल आने में लंबा समय है जिसे देखते हुए सटोरिये कीमतों को तोडऩे की जुगत में है लेकिन जल्द ही कीमतों में मजबूती का दौर शुरू होगा।
कपास बुआई के बेहतर आंकड़े आने से घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में पिछले एक सप्ताह से गिरावट का रुख बना हुआ है। एमसीएक्स में कपास का भाव गिरकर 988 रुपये प्रति 20 किलोग्राम और एनसीडीईएक्स में 991 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हो गया। हालांकि हाजिर बाजार में कीमतों में गिरावट नहीं देखने को मिली है। वायदा बाजार में एक महीने में कपास की कीमतों में करीबन पांच फीसदी की कमी आई है जबकि हाजिर बाजार में कपास करीबन 7 फीसदी मजबूती के साथ 11928 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है।
कपड़ा मंत्रालय से मिल रही सूचना की मानी जाए तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कपास निर्यात बढ़कर 348.4 करोड़ किलो हो चुका है जबकि पिछले साल निर्यात का आंकड़ा 219.97 करोड़ किलोग्राम तक पहुंच रहा था। सिर्फ जून महीने में 142.29 करोड़ किलोग्राम कपास का निर्यात हुआ है। इसके साथ ही चालू फसल सीजन मेंं 107 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) के सौदों का रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है। जो कपास में आने वाली तेजी की तरफ इशारा कर रहे हैं।
एंजेल कमोडिटी की वेदिका नार्वेकर के मुताबिक निर्यात मांग बढ़ी है निर्यातकों ने अपने सौदों को पूरा करने के लिए अपने स्टॉक को ज्यादा से ज्यादा निकाल दिया है। खत्म हुए कपास सीजन का करीब 96 फीसदी (328 लाख गांठ) बाजार में आ चुका है। यानी किसानों के पास अब माल नहीं बचा है और नई फसल के आने में समय है इसलिए आने वाला महीना कपास के लिए भारी उलट-पुलट वाला महीना साबित हो सकता है। इस समय निर्यात मांग और वैश्विक बाजार में तेजी भी मजबूत होती है तो घरेलू बाजार में भी कपास और धागा की कीमतें नई ऊंचाई की तरफ भाग सकती हैं।
कपास की घरेलू मांग में भी तेजी आने की संभावना जताई जा रही है। पिछले साल मिलों में कपास की खपत 223 लाख गांठ थी जो इस बार बढ़कर 235 लाख गांठ पहुंचने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भारी उतार चढ़ाव का दौर चल रहा है लेकिन मांग में तेजी बनी हुई है। यार्न निर्यातक रमेश शाह के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में हर दिन भारी उतार-चढ़ाव के कारण पूरा बाजार अस्थिर बना हुआ है।
डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से धागा निर्यातकों को फायदा तो हुआ है लेकिन रुपये में भी अस्थिरता बाजार में थोड़ी सी चूक फायदे की जगह घाटा कर रही है। लेकिन एक बात जो सामने दिखाई दे रही है कि मांग में तेजी की वजह से कीमतों में अभी और मजबूती आएगी जिसका सीधा फायदा भारतीय धागा निर्यातकों को होगा। वर्ष 2011-12 में भारत ने 1.3 करोड़ गांठ का कपास निर्यात किया था लेकिन 2012-13 में सूखे के कारण कपास निर्यात घटकर 80-90 लाख गांठ रह गया था। (BS Hindi)
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