11 जुलाई 2013
रूठ गया सोना तो बाजार हुआ सूना
सोने का आयात कम करने के लिए सरकार ने एक के बाद एक जो कदम उठाए हैं, उनका खमियाजा जेवरात के कारोबार पर पड़ रहा है। जेवरात बनाने वालों के सामने आजकर सोने की जबरदस्त किल्लत है, जिसके कारण यह उद्योग अपनी क्षमता के मुकाबले आधा काम ही कर पा रहा है। इस साल अप्रैल-मई में करीब 300 टन सोने का आयात हुआ, लेकिन जून में आंकड़ा घटकर 38 टन रह गया।
मई में सोने का ज्यादा आयात होने से आभूषण निर्माताओं को थोड़ी राहत मिली थी लेकिन उसके बाद से उन्हें किल्लत से जूझना पड़ रहा है। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फाउंडेशन (जेजीएफ) के चेयरमैन हरेश सोनी ने कहा, 'सोने की आपूर्ति घटने के कारण कई आभूषण इकाइयों और कारीगरों को बेकार बैठना पड़ रहा है। मांग घटने से भी आभूषण उद्योग पर मार पड़ रही है। ऐसा सिर्फ स्वर्ण आभूषण इकाइयों के साथ ही नहीं है बल्कि हीरे के आभूषण बनाने वाली और हीरे तराशने वाली इकाइयों के पास भी काम नहीं है।Ó
देश में आभूषण उद्योग का करीब 4,500 करोड़ डॉलर का कारोबार है। इसमें 6 लाख कारोबारी जुड़ेे हैं और करीब 1 करोड़ लोगों को रोजगार हासिल है। कच्चे माल की कमी का सबसे ज्यादा असर हीरा तराशने और पॉलिश करने वाली छोटी और मझोली इकाइयों पर पड़ा है। कई कारखानों में काम पूरी तरह बंद हो चुका है, जिससे कारीगर और मजदूरों का रोजगार छिन गया है। रुपये में गिरावट से कच्चे हीरे की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।
गुजरात हीरा बोर्स के संयुक्त सचिव प्रवीण नानावती ने कहा, 'सूरत में करीब 10 फीसदी कारखानों पर ताले लग चुके हैं और 10-15 फीसदी के पास काम नहीं है। ये इकाइयां सरकारी नीतियों में बदलाव का इंतजार कर रही हैं ताकि सोने की आपूर्ति बढ़े और घरेलू व अंतरराष्टï्रीय बाजारों में हीरे की मांग भी बढ़ सके।Ó उद्योग से जुड़े कुशल कारीगर रोजगार के लिए अन्य क्षेत्रों में जा रहे हैं। परिधान क्षेत्र में विदेशी ऑर्डर आने से हीरा कारीगरों को वहां काम मिल रहा है।
रत्न एवं आभूषण का निर्यात तो घटा ही है, आगे भी संभावनाएं अच्छी नहीं हैं। मई में देश से रत्नाभूषण निर्यात 16.5 फीसदी घटकर 270 करोड़ डॉलर रह गया। वैश्विक बाजारों में मांग घटने के कारण जून में भी दहाई के अंकों में गिरावट हुई। अमेरिकी बाजार में सुधार के संकेत से आभूषण निर्यातकों को उम्मीद है कि महीने-दो महीने में ऑर्डर मिलने लगेंगे।
सूरत के आभूषण निर्माता और निर्यातक ने कहा कि जिन कंपनियों पर ज्यादा कर्ज है उन्हें कार्यशील पूंजी जुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब आभूषण उद्योग की उम्मीदें त्योहारी मौसम पर टिकी हैं। कारोबारी उस समय मांग बढऩे की उम्मीद कर रहे हैं। सोने की आपूर्ति घटने के कारण हाजिर आपूर्ति के प्रीमियम में भी इजाफा हो रहा है। जुलाई में भी सोने का आयात घटने की संभावना है जिससे आगे भी आपूर्ति की समस्या बनी रह सकती है।
अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ और मांग नहीं बढ़ी तो उद्योग को भारी वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'बैंकों ने आभूषणों को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में डाल दिया है और ऋण का नवीनीकरण काफी कठिन हो गया है। उद्योग कार्यशील पूंजी के लिए नकदी और उधारी सीमा पर ही निर्भर हैं।Ó
6 महीने तक सोने के सिक्के नहीं बेचेंगे ज्वैलर
मुंबई के आभूषण निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं ने अपनी मर्जी से फैसला किया है कि वे छह महीने तक सोने के सिक्के और ईंट नहीं बेचेंगे। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फाउंडेशन ने बताया कि बिक्री पर रोक चालू खाते का घाटा कम होने तक जारी रह सकती है। हालांकि गहनों की बिक्री और रत्नाभूषणों का मूल्यवर्धन जारी रहेगा। (BS Hindi)
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