05 जुलाई 2013
अध्यादेश के अलावा नहीं था विकल्प
खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू करने के लिए अध्यादेश लाने के फैसले पर विपक्ष के हमले का सामना कर रही सत्तारूढ़ संयुक्त प्रतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का मानना है उसके पास और दूसरा (अध्यादेश लाने के अलावा) विकल्प नहीं था।
इस पूरी प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों का कहना है कि जुलाई में अध्यादेश जारी होने से कानून व्यवाहारिक तौर पर इस साल नवंबर या दिसंबर तक पूरे देश में लागू हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि लाभान्वितों की पहचान जैसे कई कार्य अभी पूरे किए जाने बाकी हैं। राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि अध्योदश के जरिये महत्त्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक लाना सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए राजनीतिक तौर पर फायदेमंद हो सकता है। इनका मानना है कि इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, साथ ही आम चुनाव की सरगर्मी भी तेज हो जाएगी।
राज्य सरकारों को सभी तैयारियां पूरी करने और कानून के क्रियान्वयन के लिए अध्यादेश में दो उपखंड 10 और 41 शामिल किए गए हैं।
उपखंड 10 के तहत अध्यादेश लागू की तिथि से अगले छह महीने तक राज्य सरकारों को लाभान्वितों की पहचान और उनकी सूची तैयार करने के लिए दिया गया है। उपखंड 41 के तहत वर्तमान आदेश, दिशानिर्देश, खाद्य मानक आदि नए दिशानिर्देश या योजनाएं बनने तक प्रभावी रहेंगे।
खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम लागू करने की जिम्मेदारी खाद्य मंत्रालय के पास है। मंत्रालय का मानना है कि यह कानून लागू करने में अब अगर और देर होती है तो इसका नकारात्मक असर होगा, क्योंकि देश में भूख से होने वाली मौत की किसी खबर के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा। खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के अध्यादेश के तहत देश की 67 प्रतिशत आबादी को काफी सस्ती दरों पर खाद्यान्न मुहैया करने का प्रावधान है। लाभार्थियों को हरेक महीने 5 किलो चावल (3 रुपये प्रति किलो), गेहूं(2 रुपये प्रति किलो) या मोटे अनाज (1 रुपये प्रति किलो) मुहैया कराया जाएगा।
इस योजना से सालाना खाद्य सब्सिडी के मद में जाने वाली रकम बढ़कर 1,24,725 करोड़ रुपये हो जाएगी जबकि 2013-14 के बजटीय अनुमान में यह रकम 90,000 करोड़ रुपये अनुमानित है। (BS Hindi)
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