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05 जुलाई 2013

जानिए, क्या है खाद्य सुरक्षा बिल

नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा बिल की खासियत यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बन जाने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। विधेयक में लाभ प्राप्त करने वालों क प्राथमिकता वाले परिवार और सामान्य परिवारों में बांटा गया है। प्राथमिकता वाले परिवारों में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले और सामान्य कोटि में गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को रखे जाने की बात कही गई है। ग्रामीण क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 75 प्रतिशत आबादी आएगी, जबकि शहरी क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 50 प्रतिशत आबादी आएगी। विधेयक में प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवारों को तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल और दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध कराने की बात कही गई है। खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे के प्रावधानों के तहत देश की 63.5 प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी। खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 95,000 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा। इस विधेयक के कानून में बदल जाने के बाद अनाज की मांग 5.5 करोड़ मीट्रिक टन से बढ़ कर 6.1 मीट्रिक टन हो जाएगी। प्रावधान: -63.5 प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज प्रदान करने का प्रावधान -खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 95,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव -कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 1,10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव -ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आबादी को इस विधेयक का लाभ दिया जाएगा -शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी -गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा -स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1,000 रुपये भी दिए जाएंगे -नया कानून लागू होने पर इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा दो श्रेणियां: इस योजना के लाभार्थियों को दो भागों में बांटा गया है। प्राथमिकता वाले परिवार और सामान्य परिवार (जैसे एपीएल या गरीबी रेखा से ऊपर आने वाले लोग)। इस विधेयक के तहत सरकार प्राथमिकता श्रेणी वाले प्रत्येक व्यक्ति को सात किलो चावल और गेहूं देगी। चावल तीन रुपये और गेहूं दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा। जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों को कम से कम तीन किलो अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधे दाम पर दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आबादी को इस विधेयक का लाभ दिया जाएगा, जिसमें से कम से कम 46 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा। शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी और इनमें से कम से कम 28 प्रतिशत प्राथमिकता श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा। नए प्रावधान: कुछ दिनों पहले खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने इस विधेयक के बारे में कहा था कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद से चर्चा के बाद 2009 में बनाए गए विधेयक के मसौदे में कुछ और प्रावधान जोड़े गए हैं। संशोधित मसौदे में गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा। खाद्य मंत्री के मुताबिक, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को महीने के 1,000 रुपये भी दिए जाएंगे। इस विधेयक में ऐसा भी प्रावधान है, जिसके तहत अगर सरकार प्राकृतिक आपदा के कारण लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाती है, तो योजना के लाभार्थियों को उसके बदले पैसा दिया जाएगा। महत्वपूर्ण है कि जनवितरण प्रणाली के तहत सरकार हर महीने 6 करोड़ 52 लाख बीपीएल परिवारों को 35 किलो गेहूं और चावल प्रदान करती है। इस योजना के तहत गेहूं 4.15 रुपये में दिया जाता है, जबकि चावल का दाम 5.65 रुपये किलो है। एपीएल की श्रेणी वाले 11.5 करोड़ परिवारों को 6.10 रुपये में 15 किलो गेहूं और 8.30 रुपये में 35 किलो चावल दिए जाते हैं। नया कानून लागू होने के बाद इससे कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा। (Jagran)

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