03 सितंबर 2012
महंगे चारे से जूझ रहे पोल्ट्री किसानों को अंडे में गर्माहट की उम्मीद
चारे की बढ़ती लागत से जूझ रहे देश भर के पोल्ट्री किसान आने वाले दिनों में बेहतर कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। किसानों को अंडे की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी की उम्मीद है क्योंकि श्रावण बीत चुका है, केरल से भी मांग बढ़ सकती है और जाड़े का मौसम आने वाला है, जब मांग में तेजी आती है।
इस महीने अंडे की कीमतें 2.40-2.50 रुपये से बढ़कर 3.00-3.20 रुपये प्रति अंडे हो जाने से पोल्ट्री किसानों को चारे की बढ़ती लागत का भार कम करने में मदद मिली है।
नमक्कल की पेपे फर्म (जिसके पास 5 लाख से ज्यादा पक्षी है) के मालिक पी टी आरसन के मुताबिक, मांग में स्थिरता के बीच अंडे की कीमतों में संशोधन से काफी राहत मिली है क्योंकि इनपुट की लागत ऊंची बनी रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पोल्ट्री किसानों ने पारंपरिक चारे मसलन सोया, मक्का, राइस ब्रान के विकल्प का इस्तेमाल करने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा - अगर हम पारंपरिक चारे की जगह सस्ते विकल्प मसलन ग्वारखली, कपास खली और पाम खली का इस्तेमाल करते हैं तो हम चारे पर प्रति किलोग्राम 2 रुपये बचाच सकते हैं, लेकिन इसके उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में हम मौजूदा परिस्थितियों के साथ ही कामकाज निपटा रहे हैं।
हरियाणा पोल्ट्री फॉमर्स एसोसिएशन के महासचिव ने देवेंद्र अहलावत ने कहा, 'डीडीजेएस (डिस्टिलरी आधारित चारा) कुछ महीने पहले 6-7 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध था, जो अब 30 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा है। ऐसे में अब यह मांग-आपूर्ति का समीकरण है, अगर नए तरह के पोल्ट्री चारे की मांग बढ़ती है तो कीमतें भी ऊपर जाती हैं।'
पोल्ट्री किसानों का मानना है कि फूड बास्केट की कीमतें में संशोधन से अंडे की बेहतर कीमतें मिली हैं क्योंकि उपभोक्ताओं के पास सब्जियों व दालों के तौर पर सस्ते विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
सुरजीत स्टार्च ऐंड केमिकल्स लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक के के सरदाना के मुताबिक, मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी से कॉर्न ग्लूटोन (प्रोटीन आधारित पोल्ट्री चारा) की कीमतें पिछले कुछ माह में करीब-करीब दोगुनी हो गई हैं और इसने कई किसानों को सस्ते विकल्प का रुख करने को मजबूर किया है।
मक्के की कीमतें 1160 रुपये प्रति क्विंटल (बिहार में) से लेकर 1300 रुपये प्रति क्विंटल (दिल्ली में) हैं। निर्यातकों को 1500 रुपये प्रति क्विंटल से 1600 रुपये प्रति क्विंटल हासिल हो रहा है।
अंडे की कीमतों में बढ़ोतरी से दो महीने पहले तक जहां 17 हफ्ते की उम्र वाले मुर्गे ही काटे जाते थे, लेकिन अब यह उम्र बढ़कर 21 हफ्ते हो गई है। आदर्श रूप में 72 हफ्ते की उम्र वाले पक्षी को काटा जाना चाहिए, लेकिन चारे की बढ़ती लागत ने पोल्ट्री किसानों को लंबे समय तक इसे रखना अनुपयुक्त बना दिया है। छह महीने पहले काटे हुए पक्षियों की कीमतें 25 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो अब 45 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। एक पोल्ट्री किसान ने कहा कि अगर अंडे की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो ज्यादा उम्र वाले पक्षियों को ही काटा जाएगा, यानी इसके काटने की उम्र में बढ़ोतरी होगी। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें