03 सितंबर 2012
मॉनसून में सुधार, पर तिलहन के रकबे ने नहीं पकड़ी रफ्तार
पिछले महीने 29 तारीख को समाप्त हफ्ते के दौरान साल 2012 के दक्षिण पश्चिम मॉनसून की सबसे अच्छी बारिश हुई है और इसके चलते धान, दलहन और मोटे अनाज का रकबा बढ़ा है, लेकिन इस बारिश का तिलहन पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा।
अधिकारियों ने कहा कि आने वाले हफ्ते में अगर बारिश की तीव्रता मौजूदा स्तर पर बनी रहती है तो मोटे अनाज, दलहन और कम अवधि में परिपक्व होने वाले धान के रकबे में बढ़ोतरी होगी, लेकिन तिलहन पर इसका बहुत ज्यादा असर पडऩे की संभावना नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा - 'तिलहन के रकबे में थोड़ी बढ़ोतरी अगस्त में बारिश में अचानक हुए सुधार के चलते हुआ है, अन्यथा हमें लगता था कि खरीफ फसल की कुल स्थिति पर इसका बहुत ज्यादा असर पड़ेगा।'
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, 29 अगसस्त को समाप्त हफ्ते में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश सामान्य के मुकाबले करीब 6 फीसदी ज्यादा रही है और मौजूदा सीजन में यह अब तक शानदार प्रदर्शन है। भारी बारिश से भी हालांकि देश भर में बारिश में कुल कमी लंबी अवधि के औसत के मुकाबले महज 12 फीसदी कम रहा है, लेकिन पश्चिम राजस्थान जैसे कमी वाले इलाकों में भी बारिश सामान्य रही है। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा के इलाकों में बारिश की स्थिति सुधरी है, जो कम बारिश की समस्या से जूझ रहे थे।
हालांकि गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों में बारिश जुलाई के मुकाबले बेहतर रही है, लेकिन स्थिति अभी भी दयनीय है। एक अन्य अधिकारी ने कहा - बारिश में देर से हुए सुधार और पहले दो महीने में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के कमजोर प्रदर्शन से हालांकि कमी की पूरी भरपाई नहीं हो पाएगी, लेकिन यह फसलों की सुरक्षा कर सकता है और खाली जलाशयों को भर सकता है।
पिछले हफ्ते खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा था कि भारत में खरीफ सीजन के दौरान चावल का उत्पादन पिछले साल के 985 लाख टन के मुकाबले 6 फीसदी कम रहने की संभावना है।
देश के 84 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर भी बारिश के चलते सुधरा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, जलाशयों में पानी का स्तर इसकी कुल क्षमता का 61 फीसदी हो गया है, जो जून के आखिर के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा है।
पिछले शुक्रवार तक कुल मिलाकर 954.3 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हुई है, जो पिछले साल की समान अवधि मेंं बुआई के सामान्य रकबे (पिछले पांच साल का औसत) के मुकाबले 6.60 लाख हेक्टेयर कम है।
धान के मामले में कुल रकबा सामान्य के मुकाबले 4.5 फीसदी ज्यादा रहा है, वहीं मोटे अनाज का रकबा सामान्य के मुकाबले 14.6 फीसदी ज्यादा। दलहन का रकबा सामान्य के मुकाबले महज 1.4 फीसदी ज्यादा रहा है। अच्छी बारिश से कपास का रकबा हालांकि सामान्य के मुकाबले 5.53 फीसदी ज्यादा रहा है। (BS Hindi)
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